चतरा : जिले में करम परब को लेकर चहूंओर चहल-पहल है। भाई की सलामती के लिए बहनों के द्वारा किया जाने वाला प्रकृति पर्व कर्मा एकादशी व्रत 14 सितंबर को मनाया जाएगा। शुक्रवार को व्रत का नहाय-खाय और संयत है। कर्मा एकादशी व्रत को लेकर खास कर युवतियों के के द्वारा विशेष तैयारी की जा रही है।
इस व्रत को लेकर एक सप्ताह पूर्व से ही व्रत करने वाली युवतियां एवं महिलाएं इसकी तैयारी में जुट जाती है। गांव के चौराहों पर प्रत्येक दिन संध्या में अखरा सजता है और झूमर का आयोजन होता है। व्रत को लेकर खासकर युवतियां विशेष उत्साहित हैं। वैसे झारखंड का यह महत्वपूर्ण पर्व है। इसे प्रकृति का महापर्व भी माना जाता है। इस दिन कुवारी लड़कियां व्रत करती हैं। करमा को लेकर कई लोक श्रुतियां और कई लोक कथाएं भी प्रचलित हैं, जिनके माध्यम से यह पता चलता है कि करमा का व्रत कुवारी लड़कियां अपने भाई की लंबी आयु के लिए करती हैं।
यह व्रत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इसमें करम वृक्ष की पूजा की जाती है। करम के वृक्ष की पूजा कर लड़कियां यह कामना करती हैं कि उनके भाई की आयु भी करम के वृक्ष की आयु की तरह अधिक हो और उनके परिवार के सभी सदस्य खुशहाली से अपना जीवन व्यतीत करें। भाई की लंबी आयु के लिए किया जाने वाला करमा के इस दिन को लोग नई शुरुआत के रूप में भी शुभ मानते हैं। इस दिन महिलायें और लड़कियां 9 तरह के अनाज को एक कटोरी में संग्रहित करके अपने इलाके में सम्मिलित रूप से पूरे विधि-विधान के साथ इस पूजा को सम्पन्न करती हैं। पूजा करने के बाद सभी लोग एक साथ मिलकर करमा पर्व की खुशी मनाते हैं और झूमर व नाच गान करते हुए रात्रि जागरण करते हैं।