डबल वोटर ID विवाद! बिहार और बंगाल की लिस्ट में नाम मिलने पर EC सख्त
हाईलाइटस:
- प्रशांत किशोर का नाम बिहार और पश्चिम बंगाल — दोनों की वोटर लिस्ट में दर्ज
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 व 18 का उल्लंघन माना गया
- चुनाव आयोग ने तीन दिन के भीतर जवाब मांगा
- जन सुराज पार्टी ने कहा — यह आयोग की प्रक्रिया में देरी, पीके ने पहले ही आवेदन दे दिया था
विस्तार:
जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर को निर्वाचन आयोग की ओर से नोटिस जारी किया गया है। उन पर आरोप है कि उनका नाम दो अलग-अलग राज्यों बिहार और पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में दर्ज है, जो कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के तहत अवैध है।
सासाराम के करगहर विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया कि प्रशांत किशोर का नाम बिहार की वोटर लिस्ट में उनके पैतृक गांव कोनार (रोहतास) के मतदान केंद्र पर दर्ज है, वहीं पश्चिम बंगाल के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में भी उनका नाम सेंट हेलेन स्कूल, रानीशंकरी लेन मतदान केंद्र पर पाया गया है। कानून के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में वोटर के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकता। ऐसा पाए जाने पर एक साल की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।
प्रशांत किशोर का जवाब:
जब उनसे इस विवाद पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “जब मैं 2021 में बंगाल चुनाव में काम कर रहा था, तब वहां मेरा वोटर कार्ड बना था। अब मैं बिहार का मतदाता हूं। तीन साल से यहां वोट डालता हूं। यह गलती चुनाव आयोग की है, हमारी नहीं।”
जन सुराज पार्टी की सफाई:
जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता सौरभ सिंह और सैयद मसीह उद्दीन ने बयान जारी कर कहा “प्रशांत किशोर ने 2022 में ही चुनाव आयोग को आवेदन देकर बंगाल की वोटर लिस्ट से नाम हटाने का अनुरोध किया था। आयोग की प्रक्रिया में देरी हुई है, इसमें पीके की कोई गलती नहीं।” उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला पूरी तरह प्रशासनिक लापरवाही है और पार्टी कानूनी रूप से जवाब देगी।
राजनीतिक असर:
यह विवाद बिहार में जन सुराज पार्टी की छवि पर असर डाल सकता है। प्रशांत किशोर की पहचान एक ईमानदार और नीति-आधारित राजनीति करने वाले नेता के रूप में रही है। विपक्षी दल अब इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी में हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले यह विवाद जन सुराज के लिए नकारात्मक माहौल बना सकता है।
कानूनी प्रावधान क्या कहते हैं:
- धारा 17: कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत नहीं हो सकता।
- धारा 18: यदि किसी का नाम दो वोटर लिस्ट में पाया जाता है, तो यह उल्लंघन माना जाएगा।
- दोष सिद्ध होने पर जेल या जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
विवाद का बंगाल कनेक्शन:
प्रशांत किशोर 2021 में पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी की TMC के रणनीतिकार थे। उस दौरान कोलकाता के कालीघाट रोड पते पर उनका नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा गया था — वही पता अब विवाद का कारण बना है।
EC की अगली कार्रवाई:
बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों के जिला चुनाव कार्यालयों से इस पर रिपोर्ट मांगी गई है। यदि दोनों जगह नाम दर्ज पाए जाते हैं, तो एक प्रविष्टि रद्द की जाएगी और प्रशांत किशोर को औपचारिक स्पष्टीकरण देना होगा।
