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एनटीपीसी से बिजली की मांग को लेकर भाजपा का आर्थिक नाकेबंदी सह धरना-प्रदर्शन महासंग्राम शुरू
टंडवा : एनटीपीसी नार्थ कर्णपुरा से नियमित बिजली की आपूर्ति की मांग को लेकर भाजपा के द्वारा आहुत की गई आर्थिक नाकेबंदी सह धरना प्रदर्शन शनिवार से शुरू हो गई। जहां आर्थिक नाकेबंदी सह धरना-प्रदर्शन के शुरूआत पूरे जिले भर से पहुंचे भाजपा कार्यकर्ताओं ने सांसद कालीचरण सिंह व विधायक किसुन कुमार दास के नेतृत्व में स्थानीय बाजार टांड परिसर से रैली निकालकर टंडवा नगर भ्रमण कर शक्ति प्रदर्शन किया। शक्ति प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ता एनटीपीसी बिजली और पानी दो, एनटीपीसी मूलवासियों का शोषण करना बंद करो,आम सड़क से कोयले का ढुलाई बंद करो सहित अन्य नारे लगाकर आवाज बुलंद कर रहे थे ।रैली थाना गेट व एनटीपीसी गेट होते हुए सभी बाईपास रोड पर स्थित सीआरपीएफ कैंप के समीप बनाए गये धरना स्थल पर पहुंचे। जहां रैली सभा में तब्दील हो गई। इस दौरान पूरे जिले भर से आए भाजपा कार्यकर्ताओं ने मौके पर मौजूद लोगों के बीच बारी-बारी से अपनी बात रखी ।वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष रामदेव सिंह भोक्ता ने कहा कि टंडवा प्रखंड में बिजली और पानी एक प्रमुख समस्या है। जिस पर पिछले कई वर्षों से यहां के लोगों की बहुत बड़ी समस्या बनी हुई । जिस पर एनटीपीसी व सीसीएल प्रबंधन लोगों को वर्षों से झूठा आश्वासन देकर उनके साथ छलावा करते आ रही है। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी प्रबंधन यहां की बिजली और पानी की समस्या का जब तक समाधान नहीं करेगी तब तक हम सभी आर्थिक नाकेबंदी और धरना प्रदर्शन करते रहेंगे ।मौके पर जनार्दन पासवान, सुजीत भारती, उज्जवल दास,जीतन राम,मिथिलेश गुप्ता,संजय पाण्डेय,अरविंद सिंह,प्रमोद सिंह,गोविंद तिवारी,महेंद्र नायक, देवकुमार सिंह,कपिल दांगी, दयानिधि सिंह,अरूण चौरसिया,विनोद प्रसाद, विद्या सागर आर्य,विनोद पाठक,संजीव मिश्रा समेत अनेक भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित थे ।

एनटीपीसी से बिजली को लेकर यह आर-पार की लड़ाई: विधायक
सिमरिया विधायक किसुन कुमार दास ने बात करने पर बताया कि एनटीपीसी को टंडवा प्रखंड में हर हाल में बिजली देनी होगी । उन्होंने कहा जल,जंगल और जमीन देकर एनटीपीसी और सीसीएल को स्थापित कराने वाले टंडवा के मूलवासी बिजली और पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।कहा कि यहां के कोयले और एनटीपीसी के बिजली से पूरा देश रौशन हो रहा है।और यहां के लोग बिजली के लिए तरस रहे हैं ।उन्होंने कहा कि यह लड़ाई आर-पार की लड़ाई है। जब तक एनटीपीसी टंडवा वासी को बिजली नहीं देती है तब तक तक यह आंदोलन जारी रहेगा । इस बार एनटीपीसी को टंडवा वासियों को नियमित बिजली और पानी देना ही होगा। उन्होंने कहा कि अगर हमारी मांगों पर एनटीपीसी विचार नहीं करती है तो हम सभी राज्य से लेकर केंद्र तक आंदोलन के लिए तैयार हैं। वहीं विधायक ने कोल वाहनों से निरन्तर हो रहे सड़क दुर्घटनाओ में आम लोगों की मौत पर जिला प्रशासन व सीसीएल प्रबंधन से वैकल्पिक नो एंट्री अथवा ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर एनटीपीसी हमारी बात नहीं सुनती है तो मजबूरन हम लोग सड़क पर उतर कर चक्का जाम कर देंगे |

व्यवसाई संघ ने आंदोलन के समर्थन में अपनी दुकानें रखी बंद
भाजपा के द्वारा आहुत आर्थिक नाकेबंदी सह धरना-प्रदर्शन का साथ टंडवा के व्यवसाई संघ ने भी दिया। व्यवसाईयो ने आंदोलन के समर्थन में दिनभर अपनी-अपनी दुकाने बंद रखी। वहीं व्यवसायिक संघ के अध्यक्ष विकास गुप्ता ने कहा कि एनटीपीसी में अभी 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने एनटीपीसी परियोजना को अपना जल जंगल जमीन देकर स्थापित करने वाले लोगों को एनटीपीसी के द्वारा महज दो-तीन मेगावाट बिजली दे तो पूरा प्रखंड रौशन हो जाएगा एनटीपीसी में कोयले का ढुलाई रहा ठप
आर्थिक नाकेबंदी सह धरना-प्रदर्शन में चट्टी बारियातू से एनटीपीसी एवं मगध व आम्रपाली से एनटीपीसी तक कोयले का ढुलाई पूरी तरह से ठप रहा। जानकारी के अनुसार चट्टी बारियातू से कटकमसांडी तक करीब छह-सात हजार टन कोयले का डिस्पैच नहीं हो पाया। वही चट्टी बारियातू,मगध व आम्रपाली परियोजना से एनटीपीसी तक करीब बीस-पच्चीस हजार टन कोयले का डिस्पैच बाधित रहा। जिसके कारण सीसीएल व एनटीपीसी को करोड़ों रूपये का नुकसान सहना पड़ा।
सांसद सभा स्थल से तुरंत चले जाने पर कार्यकर्ता में छाई मायूसी
सांसद कालीचरण सिंह के आधे घंटे के भीतर ही सभा स्थल से चलें जाने से मौके पर मौजूद कार्यकर्ताओं में मायूसी देखी गई। दरअसल सांसद धरना स्थल पर वगैर लोगों को संबोधित किए ही वहां से निकल गये।जिसके कारण सांसद के जाने के चन्द मिनटों बाद ही अधिकांश कार्यकर्ता धरना छोड़कर जाने लगे। वहीं संसद से पत्रकारों ने भी आर्थिक नाकेबंदी सह धरना-प्रदर्शन को लेकर बात करना चाहा तो पत्रकारों से भी कन्नी काटते नजर आए। जिस धरना स्थल पर सांसद के आने के बाद पांच-सात सौ लोगों की भीड़ थी। वहीं सांसद के जाने के बाद भीड़ आधे से भी कम हो गई।