करण उर्फ बप्पी करण
लोकतंत्र यानि आम जनता का तंत्र अर्थात आम जनता का आम जनता के लिए और आम जनता के द्वारा चलाया गया शासन प्रणाली या शासन व्यवस्था और इसी लोकतंत्र की सबसे अच्छी खूबसूरती जो इसके आदर्श मूल्यों को चरितार्थ करती है वह है प्रत्यक्ष चुनाव।। नागरिको के द्वारा किया जाने वाला मतदान।।
लोकतंत्र जिसमें सत्ता की शक्ति का स्रोत जनता में नीहित होता है।। हर 5 वर्ष पर जनता इस शक्ति का प्रयोग अपने जनप्रतिनिधि को चुनने में करती है जो जनता की ओर से पूरी शासन व्यवस्था को चलाती है ।। और रामराज लाने की परिकल्पना से राष्ट्र के नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने उनकी समस्याओं का समाधान करने व राष्ट्र की सुरक्षा व राष्ट्रहित में कार्य करती है।।
इस बार अप्रैल व मई 2024 के विभिन्न तारीख को में 18वीं लोकसभा के गठन के लिए सात चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं इसी क्रम में 20 मई दिन सोमवार को हमारे हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के लिए भी मतदान कराया जाना सुनिश्चित हुआ है।। कल 17 प्रत्याशी मैदान में है आखिर कैसा होना चाहिए हमारा लोकसभा प्रत्याशी? आखिर क्या है हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र की समस्या और प्रमुख मुद्दे?
निश्चय ही लोकसभा के चुनाव द्वारा केंद्र सरकार सत्ता में आती है यही कारण है की चुनाव में राष्ट्र हित के मुद्दे देश-विदेश के मुद्दे प्राथमिकता रखते हैं बावजूद इसके हम अपने राज्य, अपने क्षेत्र, अपने समाज, के मुद्दों को दरकिनार नहीं कर सकते आइये देखें क्या है हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के प्राथमिक मुद्दे।।
बेरोजगारी:- वर्तमान में ना केवल हजारीबाग अपीतु पूरे झारखंड की सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है विगत कई दशकों से एक भी कल कारखानों की स्थापना नहीं हुई और ना ही कंपनियों की इकाई ही लगी पूरे झारखंड की बात करें तो TISCO 1907 ईTelco 1945 ई बोकारो स्टील प्लांट 1964 ई सिंदरी उर्वरक कारखाना 1951 ई इंडो आसाई ग्लास फैक्ट्री 1964 ई HEC 1958 ई तांबा उद्योग 1924 ई एल्युमिनियम उद्योग गार्डन रीच शिप बिल्डर्स इंजिनियर्स लिमिटेड 1934 ई आदि की स्थापना या तो स्वतंत्रता के पहले या द्वितीय तृतीय पंचवर्षीय योजना के समय हुई यानी 1960 के दशक के बाद किसी बड़े उद्योग- कल कारखानों की स्थापना झारखंड में हुई ही नहीं।।
2017 में मोमेंटम झारखंड के नाम पर हम झारखंडवासियों को केवल ठगने का प्रयास किया गया 216 कंपनियों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर हुए जिसके तहत 3.5 लाख करोड़ के निवेश किए जाने थे।।
हजारों हजार नौकरियां के सृजन की बात भी कही गई लेकिन धरातल पर सब कुछ सन्नाटा है जीरो बटा जीरो है ।। 131 कंपनियों का तो कोई आता पता ही नहीं।अगर हम झारखंड सरकार में नियमित स्वीकृत पद की बात करें तो कुल स्वीकृत पद 4.66 लाख है। जिसमें 1.79 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं यानी 62 प्रतिशत (2.87 लाख )पद रिक्त है.लेकिन इनको भी सरकारी कमजोरी, भ्रष्टाचार गंदी राजनीति के कारण भरा नहीं जा रहा केवल सरकार वैकेंसी निकलने और नियुक्तियां का वादा ही करती है। कुछ पदों को JPSC व JSSC जैसी संस्थानों द्वारा भरने का प्रयास भी किया जाता रहा है किंतु भारी भ्रष्टाचार, भाई भतीजा वाद, पैसे का खेल व पेपर लीक की घटनाओं ने युवाओं के भविष्य पर ताला लगाने का काम किया है।। झारखंड से प्रतिवर्ष करीब 15 लाख युवा ग्रेजुएट होते हैं इस प्रकार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से भी लाखों युवा प्रतिवर्ष ग्रेजुएट होते हैं इन युवाओं को रोजगार से जोड़ने का सरकार के पास कोई ब्लूप्रिंट नहीं है ऐसे में प्रतिवर्ष एक बड़े शिक्षित बेरोजगारों की हम फौज खड़ी करते जा रहे हैं आज पूरे भारतवर्ष में बेरोजगारी के पायदान पर हम तीसरे स्थान पर खड़े हैं अगर बेरोजगारी का आलम देखना है तो अपने-अपने चौक चौराहों पर जाइए सुबह-सुबह प्रातः और उन मजदूरों की ओर केवल आंख उठा कर देखिए तो सारे मजदूर आपको दैनिक दिहाड़ी के लिए घेर लेंगे।। बढ़ती बेरोजगारी का प्रत्यक्ष परिणाम पलायन से है चाहे बड़का गांव विधानसभा की बात करें या बरही विधानसभा की या रामगढ़ विधानसभा की या मांडू विधानसभा की या सदर हजारीबाग की या पूरे झारखंड की सभी क्षेत्रों में पलायन एक गंभीर समस्या है आंकड़े बताते हैं कि करीब 10 लाख मजदूर दूसरे प्रदेशों व विदेशों में प्रवासी के रूप में अपने परिवार का पेट भरने के लिए पलायित हो चुके हैं ।। प्रवासी मजदूरों की दास्तान हम कोविड काल में देख चुके हैं।। कभी-कभी यह मजदूर कई दलालों व गलत लोगों के चंगुल में फंस जाते हैं हाल ही में सऊदी अरब में फंसे 45 मजदूर इसका ज्वलंत उदाहरण है ।।
मांडू विधानसभा में किसी भी कल कारखानों के न लगने के कारण हजारों मजदूर खाड़ी देशों में ट्रांसमिशन टावर लगाने वाली कंपनियों में काम कर रहे हैं अतः रोजगार और पलायन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जिसकी बात चुनाव में होनी ही चाहिए।।
दूसरी ओर विस्थापन और पुनर्वास झारखंड सहित हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के भी अति संवेदनशील मुद्दे है हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र की बात की जाए तो बड़का गांव के गोंडल पूरा के ग्रामीण पिछले दो वर्षों से अपनी जमीन न देने को लेकर आंदोलनरत है इसी प्रकार NTPC की चट्टी बरियातू कॉल प्रोजेक्ट के विस्थापितों की समस्या ,बड़कागांव गोली कांड के कारण 400 से 500 ग्रामीण पर FIR,फिर पुलिस की दबिश के कारण कई ग्रामीण गांव छोड़ने को मजबूर DVC प्रोजेक्ट के कारण विस्थापित लोगों की पुनर्वास की समस्या गोड्डा में अदानी पावर प्लांट द्वारा विस्थापित लोगों की समस्या ।।
यदि हम विष्णुगढ़ प्रखंड के नावाटांड पंचायत के लोगों की माने तो 1953 में में कोनार डैम के निर्माण के समय डीवीसी द्वारा लोगों को विस्थापित कर नवाटांड में पुनर्वास कराया गया किंतु रैयतों को जमीन का मालिकाना हक आज तक नहीं दिया गया है जमीन डीवीसी के नाम पर ही है ऐसे में स्थानीय रैयतों का ना तो आय प्रमाण पत्र, न आवासीय प्रमाण पत्र ,न जाति प्रमाण पत्र ही बन पाते हैं, जिससे इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।। आजादी के बाद जब हिंडालको कंपनी बॉक्साइट के खनन के लिए झारखंड आई तो सरकारी अधिकारियों ने अपने फायदे व निजी स्वार्थ के लिए नागोसिया जनजाति से सादे कागज पर बैल और बकरी के नाम पर अंगूठा लगवा लिया और धोखाधड़ी से कंपनी को जमीन दे दी ऐसे हजारों उदाहरण झारखंड में मिल जाएंगे अब सवाल है भूमि के अधिग्रहण के लिए विस्थापन और पुनर्वास के लिए जब कानून बने हुए हैं तो फिर भूमि लेने और पुनर्वास में बाधा क्यों? समस्या क्यों? तो इसका एकमात्र कारण यह है कि नियम कानून तो है लेकिन नियम कानून को ताख पर रखकर सत्ता पर बैठे सत्ताधारी अपने फायदे व स्वार्थ के लिए कंपनियों के साथ मिलकर रैयतो को सामाजिक न्याय से वंचित कर देते हैं अधिकांश प्रभावित क्षेत्रों में रैयतो की कुल संख्या का 25 से 30% रैयतो को ही मुआवजा व नौकरी प्राप्त होता है शेष रैयत जीवन भर न्याय के लिए संघर्ष ही करते रह जाते हैं।। यही कारण है कि रैयत अपनी भूमि कंपनी या सरकार को नहीं देना चाहते।।
अगर हम शिक्षा की बात करें तो व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण का आधार है प्राथमिक शिक्षा विद्यालय शिक्षा किंतु अफसोस की कई सरकारी स्कूलों को ही बंद कर दिया गया और जो सरकारी स्कूल है उनकी स्थिति बाद से बढ़कर है छात्र तो हैं लेकिन स्कूलों में पढ़ने वाले शिक्षक नहीं झारखंड में कुल 4402 ग्राम पंचायत है और हजारीबाग की बात करें तो 250 ग्राम पंचायत है कम से कम अलग राज्य के गठन के बाद अब तक इन प्रत्येक ग्राम पंचायतो में एक-एक स्मार्ट स्कूल की व्यवस्था होनी ही चाहिए थी ।।जिसमें स्मार्ट बोर्ड, प्रोजेक्टर ,कंप्यूटर ,लैब ,अच्छे शिक्षक, शुद्ध पेयजल, खेल के मैदान, खेल के लिए प्रयुक्त किट, अच्छी वाता अनुकूलित कक्षाएं सहित सभी आधारभूत संरचना सुवास्थित रूप से वर्तमान होनी ही चाहिए थी। किंतु स्थिति बिल्कुल ही इसके विपरीत है अगर सरकारी स्कूल है तो उसमें बच्चे नहीं यदि बच्चे हैं तो शिक्षक नहीं आधारभूत संरचनाओं का बिल्कुल ही अभाव है हम लोगों को एक शाह एजुकेशन सिस्टम की व्यवस्था करनी होगी जिसमें आमिर से अमीर और गरीब से गरीब बच्चे एक ही बेंच में बैठकर पढ़ाई कर सके।। हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र को देखें तो सुदूर ग्रामों में सरकारी विद्यालयों की स्थिति अत्यंत ही गंभीर है शहरों में कुछ ही सरकारी स्कूल ठीक-ठाक अवस्था में है बाकी जितने भी निजी स्कूल है वह मध्यम वर्गीय परिवार और अति मध्यम वर्गीय परिवार के अभिभावकों को लूटने की एक परंपरा के साथ चल रहे हैं।। किसान मजदूर के बच्चे तो इन स्कूलों की तरफ देख भी नहीं सकते किसी भी स्कूल में शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा।।
अगर स्वास्थ्य की बात करें तो हजारीबाग में एक सदर अस्पताल है जो अभिषेक भिखारी मेडिकल कॉलेज के रूप में अपग्रेड हो चुका है हाल ही में इसे अपग्रेड करने के लिए, इसके इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण हेतु 29.90 करोड रुपए का खर्च किए गए और यह खर्च लोगों को रांची रेफर से बचने के लिए किया गया हाल ही में 300 बेड की सुविधा भी दी गई किंतु डॉक्टरों की लापरवाही को प्रबंध दलालों का जमावड़ा के कारण गरीब मरीज प्रतिदिन रेफर होते हैं। ज्ञात हो कि सदर अस्पताल हजारीबाग पर हजारीबाग वह आसपास के गांव सहित चतरा कोडरमा गिरिडीह बोकारो जैसे आसपास के जिलों का भी अधिभार है ऐसे में सदर अस्पताल के प्रबंधन का व्यवस्थित होना अति आवश्यक हो जाता है।। अस्पताल में ब्लड बैंक तो है ब्लड बैंक की कैपेसिटी भी है किंतु जरूरत पर हमेशा
रक्त की कमी होती है।। हर दिन अभिभावक थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के साथ आपको यहां रक्त के लिए इधर-उधर भटकते नजर आ जाएंगे ।
मरीज के नाम पर डेढ़ सौ से दो सौ लीटर डीजल हर दिन चलता है लेकिन देखा जाता है ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी वार्ड में मोबाइल टॉर्च की लाइट से इलाज होता है गांव में या दूरस्थ इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केदो सामुदायिक स्वास्थ्य केदो की स्थिति अत्यंत ही जर्जर है ना डॉक्टर है ना इंफ्रास्ट्रक्चर,।
झारखंड राज्य में 1963 में रिम्स की स्थापना के बाद और किसी रिम्स की स्थापना नहीं हुई हाल में देवघर में एम्स की स्थापना हुई है जिसमें अभी समय लगेगा इन समस्याओं पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है।।
आज पूरे हजारीबाग में जाम की समस्या प्रतिदिन की सबसे बड़ी जलन समस्या है फुटपाथ पर लोगों के चलने की जगह नहीं ऐसा लगता है मानो शहर कभी भी फट जाएगा।। सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है।। प्रति मिनट हजारीबाग शहर के हर चौक चौराहे में जाम की समस्या आम बन गई है कारण यह है कि 40 से 50 वर्षों के बाद भी सड़क जितनी चौड़ी थी उतनी ही है लोगों की जनसंख्या, वाहनों की संख्या, चार पहिया वाहनों की संख्या कई गुना बढ़ गई है प्रतिवर्ष हजारों वाहनों की खरीदारी होती है किंतु शहर की सड़के उतनी ही चौड़ी है इन सब का कोई ना कोई ठोस उपाय तो निकालना ही होगा।। आज तक किसी जनप्रतिनिधि या सरकारी तंत्र में सड़कों के चौड़ा करने का मादा न हुआ रामनगर चौक, झंडा चौक, बंसीलाल चौक, पुराना बस स्टैंड, गुरु गोविंद सिंह रोड, कालीबाड़ी रोड , पैगोडा चौक, इंद्रपुरी चौक ,पूरा मटवारी और कोर्रा का क्षेत्र पुलिस लाइन रोड आदि क्षेत्र में प्रति मिनट जाम लगी रहती है हजारीबाग में पृथक ट्रैफिक पुलिस की भी व्यवस्था आज तक नहीं की गई किसी ट्रैफिक रूल रेगुलेशन का भी पालन नहीं किया जाता ।।कई वर्षों से सुना जा रहा है की हजारीबाग को स्मार्ट सिटी आदर्श सिटी बनाया जाएगा किंतु यह बातें केवल कागजों पर ही अंकित मालूम पड़ती है।। ब्रिटिश काल में हजारीबाग शहर की स्थापना अत्यंत ही सुनियोजित ढंग से की गई थी मुक्त सड़कों के साथ-साथ लिंक सड़के भी बनाई गई प्रत्येक मुख सड़क लिंक सड़क से मिलती है सड़क के एक दूसरे को समकोण पर काटती है किंतु आज इन लिंक सड़कों को कूड़ा दान और पेशाब खान के रूप में तब्दील कर दिया गया है लिंक सड़कों को ही सुव्यवस्थित कर देने व ट्रैफिक पुलिस की नियुक्ति करने पर बहुत हद तक जाम से निजात पाया जा सकता है।।
बड़का गांव मुख्य चौक की स्थिति और भी बुरी है संध्या के समय भगवान भरोसे ही बसें और वाहन मार्गो से गुजार पाते हैं। हजारीबाग की सड़कों पर, महान शिक्षित इंजीनियरों के द्वारा इस कदर सड़क से ऊपर नालियों का निर्माण किया गया की बारिश के एक बार होने मात्र पर ही ड्रेनेज सिस्टम का क्या हाल है यह बखूबी पता चल जाता है। ग्रामीण अंचलों के साथ-साथ शहरों में भी इस भीष्म गर्मी में शुद्ध पेयजल की बढ़ती किल्लत हर घर नल हर घर जल योजना की याद दिलाती है 6 साल बीत चुके हैं किंतु शहरी जलापूर्ति योजना जो LNT कंपनी द्वारा 2018 में प्रारंभ हुई थी जिसके अंतर्गत कोनार डैम से 58 एमएलडी पानी लाने की योजना है आज तक अधर में लटकी हुई है।।
आजादी के बाद से ही बिजली की समस्या जस की तरह बनी हुई है 24 घंटे में से 9 से 10 घंटे ही बिजली रहती है ग्रामीण क्षेत्रों में यदि बिजली चली गई तो कब आएगी इसका कोई अता पता नहीं रामनवमी से पहले 20 -25 दिनों तक शहरी इलाकों में करोड़ों रुपए खर्च कर हर फीडर का मेंटेनेंस किया गया किंतु वर्तमान में समस्या जस की तस है।। हजारीबाग एक नगर निगम क्षेत्र है इसको देखते हुए संपूर्ण बिजली के तारों को बड़े शहरों की तर्ज पर अंडरग्राउंड कर देना चाहिए जिससे शहर में लगे हजारों हजार पॉल खूंटे भी हट जाएंगे सड़के भी कुछ चौड़ी हो जाएगी और तार गिरने की समस्या से हम निजात भी पा लेंगे।।
पूरे हजारीबाग नगर निगम में सदर अस्पताल व पुराना बस स्टैंड के शौचायलयों को छोड़ दिया जाए तो इसके अलावा जहां कहीं भी इसका उछालून की स्थापना की गई है वह प्रयोग में नहीं है बेकार पड़ी हुई है पूरे शहर में जगह-जगह टॉयलेट व शौचालय की सुचारू व्यवस्था होनी चाहिए हर जगह मॉडरेटर शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होने के कारण लोग खुले में पेशाब करने को बाध्य है ऐसे में डेली मार्केट, सब्जी मार्केट ,मटवारी गांधी मैदान के सब्जी मार्केट, पुराना बस स्टैंड का सब्जी मार्केट, में ग्रामीण अंचलों से आने वाली महिलाओं के दर्द वह परेशानियों को समझने वाला कोई नहीं जबकि जिला प्रशासन हजारीबाग की बात करें तो अधिकांश उच्च पदों पर महिला पदाधिकारी ही पदस्थापित है उन्हें महिला होने के नाते इन मानवीय संवेदनाओं पर विचार करनी चाहिए और ग्राउंड लेबल पर उतरकर देखना चाहिए।। पूरे झील परिसर कैफेटेरिया की बात की जाए तो प्रतिदिन सुबह वह संध्या के समय हजारों लोग
व्यायाम करने टहलने दौड़ने या घूमने के लिए आते हैं किंतु कहीं भी इस पूरे क्षेत्र में एक भी टॉयलेट या शौचालय की व्यवस्था नहीं है यह एक विचारणीय प्रश्न है?
विकास के नाम पर मीनिंग के नाम पर हाईवे के नाम पर हजारों हजार पेड़ों को काट डाला गया पूरे कन्हरी पहाड़ के जंगलों को ,बड़का गांव फताह के जंगलों को बर्बाद कर दिया गया जिसका हजारीबाग के पर्यावरण पर दुष्प्रभाव हम देख सकते हैं सुख भीष्म गर्मी और असमय बारिश, लेकिन इस और किसी का भी ध्यान नहीं जाएगा क्योंकि इसे वोट बैंक की राजनीति नहीं हो पाएगी.
थाना ,अंचल ,ब्लॉक, से लेकर पूरे सिस्टम में लाल फीताशाही व भ्रष्टाचार चरम पर है लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति कोई खास नहीं जंगलों में जंगल माफिया आरा मशीन लगा लगातार वनों की कटाई कर रहे हैं, गौ तस्करी का मामला बढ़ता जा रहा है ,ड्रग्स अफीम, हीरोइन ,चरस, गांजा, की तस्करी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है हमारा हजारीबाग उड़ता हजारीबाग बनता जा रहा है ।। नशे की लत घर घर तक पहुंच रही है जिस कारण महिलाएं भी असुरक्षित महसूस कर रही है आए दिन चेन स्नेचिंग का मामला इसका ज्वलंत लंत उदाहरण है। एक ही दिन में पूरे परिवार (माहेश्वरी हत्याकांड) की हत्या कर दी जाती है लेकिन आज तक हथियारों का पता नहीं चल पाता, इत्यादि कई समस्याएं हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र का ज्वलंत मुद्दा है लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि हमारी राजनीति आज उसे स्तर पर पहुंच गई है जहां समस्याओं और मुद्दों पर बातें होती ही नहीं केवल आम लोगों की भावनाओं को अलग-अलग ढंग से छुने का प्रयास किया जाता है।।
हम कहते हैं कि हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र है हम अपने आप को विश्व गुरु बनाना चाहते हैं। किंतु सच्चाई यह है कि हमारी राजनीति अभी परिपक्व नहीं, यह संक्रमण के दौर से गुजर रही है जहां हर कोई सत्ता पाने के लिए साम दाम दंड से भी ऊपर उठकर नए-नए हथकंडे अपना कर अपनी राजनीतिक सत्ता की रोटी सेक रहा है यह स्वार्थ की लोलुपता हमारे समाज को किस दिशा में ले जा रही है यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है पूरे समाज के लिए।। याद रखिए आपको संविधान ने वोट की ताकत दी है और यह वोट की ताकत एक दो धारी तलवार है अगर आपने अच्छे प्रत्याशी का चयन किया तो आपका राष्ट्र विकास के नए-नए आयाम लिखेगा आपके क्षेत्र समाज और प्रदेश में उन्नति होगी लेकिन यदि किसी लालच में आपने किसी गलत प्रत्याशी का चयन किया तो आपके क्षेत्र प्रदेश व राष्ट्र को रसातल में जाने में समय नहीं लगेगा।। एशिया के कई देश इसके उदाहरण है.