Tuesday, December 30, 2025
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नए साल से पहले गिग वर्कर्स का बड़ा ऐलान: 31 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल, फूड डिलीवरी–ई-कॉमर्स सेवाएं होंगी प्रभावित

क्रिसमस के बाद फिर आंदोलन की राह पर गिग वर्कर्स, वेतन और सुरक्षा को लेकर सरकार व कंपनियों पर दबाव

Highlights:

  • 31 दिसंबर को गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की देशव्यापी हड़ताल का ऐलान
  • डिलीवरी बॉय, कैब ड्राइवर और होम सर्विस कर्मी होंगे शामिल
  • स्विगी, जोमैटो, ज़ेप्टो, ब्लिंकइट, अमेजन, फ्लिपकार्ट के कर्मचारी कर सकते हैं काम बंद
  • न्यूनतम आय, बीमा और सुरक्षित कार्य परिस्थितियों की मांग
  • IFAT और तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन का समर्थन

विस्तार :

31 दिसंबर को फिर थमेगा गिग इकॉनमी का पहिया

नई दिल्ली। क्रिसमस के दिन हुई हड़ताल के बाद अब गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स ने 31 दिसंबर, यानी नए साल की पूर्व संध्या पर देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इस हड़ताल में डिलीवरी पार्टनर्स, कैब ड्राइवर्स और होम सर्विस से जुड़े कर्मचारी शामिल होंगे, जिससे फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स, ई-कॉमर्स और ट्रांसपोर्ट सेवाओं पर व्यापक असर पड़ने की आशंका है।

बड़ी कंपनियों के कर्मचारी होंगे शामिल

सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्तावित हड़ताल में स्विगी, जोमैटो, ज़ेप्टो, ब्लिंकइट, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी प्रमुख कंपनियों से जुड़े गिग वर्कर्स भाग ले सकते हैं। 31 दिसंबर आमतौर पर इन प्लेटफॉर्म्स के लिए सबसे व्यस्त दिनों में से एक होता है, ऐसे में हड़ताल का सीधा असर ग्राहकों पर पड़ सकता है।

वेतन और सुरक्षा को लेकर गुस्सा

गिग वर्कर्स का कहना है कि वे वेतन में कटौती, लंबे कार्य घंटे, सामाजिक सुरक्षा की कमी और असुरक्षित कार्य परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। कर्मचारियों की प्रमुख मांगें हैं—

  • न्यूनतम मजदूरी के बराबर गारंटीड आय
  • कैब ड्राइवरों के लिए कम से कम 20 रुपये प्रति किलोमीटर भुगतान
  • दिन में 8 घंटे काम की सीमा और अतिरिक्त कार्य पर ओवरटाइम
  • दुर्घटना, बीमारी और आपात स्थिति के लिए बीमा व सोशल सिक्योरिटी

10 मिनट डिलीवरी’ मॉडल पर सवाल

वर्कर्स ने ‘10 मिनट डिलीवरी’ जैसे मॉडलों को भी असुरक्षित बताया है। उनका कहना है कि इससे तेज रफ्तार और जोखिम भरी ड्राइविंग बढ़ती है, जिससे हादसों की आशंका रहती है। साथ ही, सर्दियों में घने कोहरे के दौरान रात 11 बजे के बाद डिलीवरी रोकने की भी मांग की गई है।

यूनियनों का खुला समर्थन

यह हड़ताल इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) और तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर बुलाई गई है। यूनियन नेताओं का कहना है कि अगर कंपनियों और सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

क्रिसमस हड़ताल का असर पहले ही दिख चुका

25 दिसंबर को हुई हड़ताल का सबसे ज्यादा असर गुरुग्राम में देखा गया था, जहां कई इलाकों में फूड डिलीवरी घंटों देरी से पहुंची। दिल्ली-नोएडा में असर अपेक्षाकृत कम रहा, लेकिन कई जगहों पर कर्मचारी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते नजर आए।

ग्राहकों पर भी पड़ेगा असर

नए साल की पार्टी और जश्न की तैयारियों में जुटे लोगों के लिए यह हड़ताल चिंता बढ़ा सकती है। अगर बड़े पैमाने पर भागीदारी होती है, तो ऑर्डर कैंसिल, लंबी देरी और सीमित सेवाओं की स्थिति बन सकती है। फिलहाल कंपनियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, हालांकि कुछ शहरों में इंसेंटिव देकर कर्मचारियों को काम पर बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। कुल मिलाकर, 31 दिसंबर की यह हड़ताल न सिर्फ गिग वर्कर्स के हक की लड़ाई है, बल्कि नए साल से पहले देश की डिजिटल डिलीवरी व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी परीक्षा मानी जा रही है।

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