हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। यह उड़ान भारतीय वायुसेना की आधुनिक क्षमता और नारी शक्ति दोनों का प्रतीक बनी।
हाइलाइट्स:
- राष्ट्रपति मुर्मू ने राफेल में उड़ान भरकर बनाया नया कीर्तिमान
- महिला पायलट के साथ 20 मिनट की उड़ान, अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से टेकऑफ
- राष्ट्रपति को मिला गार्ड ऑफ ऑनर, एयर चीफ मार्शल ने किया स्वागत
- राफेल स्क्वाड्रन का मुख्य बेस है अंबाला, भारत की हवाई सुरक्षा की रीढ़
- इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू सुखोई-30 एमकेआई में भी भर चुकी हैं उड़ान
विस्तार:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से भारतीय वायुसेना के आधुनिक राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। यह उड़ान करीब 20 मिनट तक चली, जिसमें राष्ट्रपति के साथ विमान की पायलट एक महिला फाइटर पायलट थीं। यह क्षण न केवल भारतीय वायुसेना के गौरव का प्रतीक बना, बल्कि देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के साहस और आत्मविश्वास की मिसाल भी बन गया।
गार्ड ऑफ ऑनर और स्वागत समारोह
राफेल में उड़ान भरने से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने किया।
वायुसेना के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, और कई रक्षा एवं प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़े वीर जवानों को भी सम्मानित किया।
राफेल उड़ान का प्रतीकात्मक महत्व
राष्ट्रपति की यह ऐतिहासिक उड़ान भारतीय वायुसेना की आधुनिकता, दक्षता और आत्मनिर्भरता का प्रमाण है। राफेल फाइटर जेट भारत की हवाई शक्ति का अहम स्तंभ है और अंबाला एयरबेस इसकी स्क्वाड्रन का प्रमुख केंद्र माना जाता है। राष्ट्रपति का इस उड़ान में शामिल होना भारतीय सेना के प्रति देश की सर्वोच्च संवैधानिक प्रमुख की आस्था और विश्वास का संदेश देता है।

सुखोई-30 में भी भर चुकी हैं उड़ान
यह पहली बार नहीं है जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किसी फाइटर जेट में उड़ान भरी हो। इससे पहले उन्होंने 8 अप्रैल 2023 को असम के तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरी थी। उस अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा था कि “वायुसेना के पायलटों की दक्षता और अनुशासन की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है।”
नारी सशक्तिकरण की नई मिसाल
राष्ट्रपति मुर्मू का यह कदम न केवल वायुसेना के इतिहास में दर्ज हो गया है, बल्कि यह नारी सशक्तिकरण का एक मजबूत संदेश भी देता है। वह भारत की पहली आदिवासी महिला और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं जिन्होंने किसी फाइटर जेट में उड़ान भरी। इससे पहले वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पुणे के लोहगांव एयरबेस से सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरकर यह परंपरा शुरू की थी।
आत्मनिर्भर भारत की झलक
राष्ट्रपति की यह उड़ान देश की रक्षा क्षमता में आत्मनिर्भरता के प्रतीक ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान की भावना को भी सशक्त करती है। राफेल विमान की तैनाती से भारतीय वायुसेना ने न केवल अपनी ताकत बढ़ाई है बल्कि यह भी साबित किया है कि भारत हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की राफेल उड़ान ने देश को गर्व से भर दिया है। यह क्षण भारतीय वायुसेना के गौरव, महिला शक्ति के उदय और आदिवासी समुदाय की प्रगति—तीनों का संगम है। यह उड़ान इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो चुकी
