भारतीय विज्ञापन जगत की दिग्गज शख्सियत और ओगिल्वी इंडिया के क्रिएटिव हेड रहे पीयूष पांडे ने 40 से ज्यादा साल इंडस्ट्री को दिए , उनके बनाए कैंपेन ने भारत की विज्ञापन दुनिया की दिशा बदल दी।
हाइलाइट्स:
- एड गुरु और ओगिल्वी इंडिया के चेयरमैन एमेरिटस पीयूष पांडे का निधन
- सुहेल सेठ ने X (पूर्व ट्विटर) पर जताया शोक, लिखा – “भारत ने एक सच्चा देशभक्त खोया”
- ‘अब की बार, मोदी सरकार’, ‘फेविकोल’, ‘कैडबरी’ और ‘हर खुशी में रंग लाए’ जैसे विज्ञापन बनाए
- चार दशक से ज्यादा समय विज्ञापन एजेंसी ओगिल्वी में बिताया
- जयपुर में जन्मे, क्रिकेटर और चाय टेस्टर भी रह चुके थे
विस्तार:
भारतीय विज्ञापन जगत से एक दुखद खबर आई है। मशहूर एड गुरु और दिग्गज विज्ञापन विशेषज्ञ पीयूष पांडे (Piyush Pandey) का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। करीब चार दशकों तक भारत को यादगार और सफल विज्ञापन अभियान देने वाले पीयूष पांडे के निधन से पूरी इंडस्ट्री शोक में डूब गई है। उनके निधन की पुष्टि बिजनेसमैन सुहेल सेठ ने की है। हालांकि, अभी तक उनकी मृत्यु का कारण सामने नहीं आया है। उनके निधन पर देशभर से शोक संदेश आ रहे हैं।
लेखक और कम्युनिकेशन एक्सपर्ट सुहेल सेठ ने एक्स (X) पर लिखा – “मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति के निधन से मैं बेहद दुखी और स्तब्ध हूं। भारत ने एक महान विज्ञापन हस्ती ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और बेहतरीन इंसान को खो दिया है। अब जन्नत में भी गूंजेगा ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’।” इस पोस्ट पर हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि दी और पीयूष पांडे की यादें साझा कीं।
क्रिएटिविटी की मिसाल: ‘अब की बार, मोदी सरकार’ से लेकर ‘फेविकोल’ तक
पीयूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन को नई पहचान दी। उनकी सोच और आइडियाज ने टीवी विज्ञापनों को जन-जन तक पहुंचाया। उनके बनाए ‘अब की बार, मोदी सरकार’, फेविकोल के यादगार एड्स, कैडबरी का ‘कुछ खास है’, एशियन पेंट्स का ‘हर खुशी में रंग लाए’, और हच का ‘व्हेयरवेर यू गो’ जैसे कैंपेन आज भी लोगों की जुबां पर हैं।
चार दशक ओगिल्वी इंडिया के साथ
पीयूष पांडे ने 1982 में ओगिल्वी एंड मेदर (अब ओगिल्वी इंडिया) से जुड़कर विज्ञापन जगत में कदम रखा। 27 साल की उम्र में उन्होंने अंग्रेज़ी-प्रधान विज्ञापन उद्योग में हिंदी और भारतीय टच लाकर क्रांति ला दी। चार दशक से ज्यादा समय तक वे ओगिल्वी के साथ जुड़े रहे और कंपनी के चेयरमैन एमेरिटस बने।
साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण सफर तक
पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर में हुआ था। वे 9 भाई-बहनों में चौथे नंबर पर थे — सात बहनें और दो भाई। उनके भाई प्रसून पांडे मशहूर डायरेक्टर हैं, जबकि बहन ईला अरुण जानी-मानी गायिका और अभिनेत्री हैं। पीयूष के पिता एक बैंक में कार्यरत थे। विज्ञापन में आने से पहले पीयूष पांडे क्रिकेटर, चाय चखने वाले (Tea Taster) और निर्माण मजदूर के रूप में भी काम कर चुके थे।
‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ से अमर हुई उनकी पहचान
हालांकि, पीयूष पांडे की सबसे स्थायी विरासत रही ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’। यह गीत न केवल एक विज्ञापन अभियान था, बल्कि भारत की एकता और विविधता का प्रतीक बन गया। उनकी सोच में भारतीय भावनाओं की गहराई झलकती थी —
यही वजह थी कि वे “भारत की आत्मा को विज्ञापन में उतारने वाले शख्स” कहलाए।
