रांची अधिवक्ता चंचल जैन ने झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष बताया कि अभ्यर्थी सुदामा कुमार का प्रारम्भिक परिणाम अनारक्षित श्रेणी में घोषित किया गया था |जबकि उन्होंने BC–II (आरक्षित) श्रेणी से आवेदन किया था। न्यायालय को बताया गया कि सुदामा कुमार ने कक्षा 1–5 के लिए आवेदन किया था उन्हें सफल घोषित कर जिला-काउंसलिंग पूरी की गई और जिला आवंटित कर दिया गया था। बाद में मूल परिणाम वापस मंगवाकर आयोग ने एक संशोधित परिणाम जारी किया जिसमें याचिकाकर्ता का नाम नहीं था।
अधिवक्ता चंचल जैन ने कोर्ट को यह भी बताया कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश Govt. of NCT of Delhi & Others v. Pradeep Kumar & Others (Civil Appeal No. 8259 of 2019) को संदर्भित कर संशोधित परिणाम लागू किया परन्तु उस आदेश को आयोग ने याचिकाकर्ता के खिलाफ ग़लत परिप्रेक्ष्य में लागू किया गया है।
इन दलीलों का संज्ञान लेकर न्यायमूर्ति आनंद सेन ने याचिकाकर्ता की बातों को मौखिक रूप से स्वीकृत करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता आरक्षित श्रेणी (BC–II) में नियुक्ति के लिए पात्र दिखाई देते है। अदालत ने आयोग को निर्देश दिया कि वह तीन सप्ताह के भीतर स्पष्ट करे कि मूल परिणाम में अनारक्षित श्रेणी में आए अभ्यर्थी को संशोधित परिणाम से किन कारणों से बाहर किया गया।
साथ ही कोर्ट ने आयोग से यह भी आदेश दिया कि याचिकाकर्ता तथा आरक्षित श्रेणी (BC–II) में अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थी दोनों के पूर्ण अंक विवरण प्रस्तुत किए जाएं।