Friday, September 19, 2025
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पुरुषों में बढ़ रहा प्रोस्टेट कैंसर: ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है। शुरुआती चरण में इसके लक्षण अक्सर नज़र नहीं आते, लेकिन समय रहते पहचान और सही इलाज से इस गंभीर बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

Highlights:

  • प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है।
  • शुरुआती चरण में अक्सर लक्षण नज़र नहीं आते, इसलिए देर से पता चलता है।
  • बार-बार पेशाब आना, दर्द या जलन होना, और पेशाब में खून दिखना इसके संभावित संकेत हैं।
  • 50 वर्ष से अधिक उम्र और परिवार में कैंसर का इतिहास होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
  • डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE) और पीएसए टेस्ट से शुरुआती पहचान संभव है।
  • इलाज के विकल्पों में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और हार्मोन थेरेपी शामिल हैं।
  • समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

विस्तार:

आजकल बदलती जीवनशैली और बढ़ते तनाव के बीच कई बीमारियां चुपचाप पनप रही हैं। इनमें से प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआती चरण में अक्सर कोई लक्षण सामने नहीं आते। यही कारण है कि अधिकतर मरीज देर से डॉक्टर तक पहुंचते हैं। अगर इसे समय रहते पहचान लिया जाए, तो प्रोस्टेट कैंसर का इलाज आसान और सफल हो सकता है।

प्रोस्टेट क्या है?

अमेरिकन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, प्रोस्टेट पुरुषों के प्रजनन तंत्र की एक छोटी ग्रंथि है। यह मूत्राशय के ठीक नीचे और मूत्र नली (युरेथ्रा) के चारों ओर स्थित होती है। जब इस ग्रंथि की कोशिकाएं अनियंत्रित और असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो उसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।

प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण

प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती चरण में अक्सर कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन कुछ संकेत ऐसे हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए:

  • बार-बार पेशाब आने की समस्या, खासकर रात में।
  • पेशाब करने में दर्द या जलन महसूस होना।
  • पेशाब को रोकने या नियंत्रित करने में कठिनाई।
  • पेशाब में खून आना (भले ही यह कम ही हो)।
  • कमर, कूल्हों या पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द।

ध्यान रहे कि ये लक्षण हर बार कैंसर के कारण नहीं होते, लेकिन यदि लंबे समय तक बने रहें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

किन लोगों को अधिक खतरा है?

उम्र: 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है।
परिवारिक इतिहास: जिन पुरुषों के परिवार में पहले से किसी को यह कैंसर हुआ है, उनमें इसका जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।
जीवनशैली: असंतुलित खान-पान, मोटापा, और धूम्रपान जैसी आदतें भी इस बीमारी का खतरा बढ़ा सकती हैं।

प्रोस्टेट कैंसर की जांच कैसे होती है?

डॉक्टर इसके लिए कुछ खास जांचें कराने की सलाह देते हैं:
डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE): इसमें डॉक्टर उंगली से प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार और स्थिति जांचते हैं।
पीएसए (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन) टेस्ट: यह एक रक्त जांच है। खून में पीएसए का उच्च स्तर कैंसर की संभावना दर्शा सकता है।

इलाज के विकल्प

यदि प्रोस्टेट कैंसर शुरुआती चरण में पकड़ में आ जाए तो इलाज सफल और आसान हो सकता है।
सर्जरी: कैंसरग्रस्त प्रोस्टेट ग्रंथि को हटाया जा सकता है।
रेडिएशन थेरेपी: उच्च-ऊर्जा विकिरण से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
हार्मोन थेरेपी: हार्मोन के स्तर को नियंत्रित कर कैंसर की वृद्धि धीमी की जाती है।
एक्टिव सर्विलांस (Active Surveillance): यदि कैंसर बहुत धीमी गति से बढ़ रहा हो, तो डॉक्टर केवल नियमित जांच और निगरानी की सलाह दे सकते हैं।

निष्कर्ष

प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर लक्षण पहचानने और सही इलाज से इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को नियमित स्वास्थ्य जांच अवश्य करानी चाहिए। जागरूकता, सतर्कता और स्वस्थ जीवनशैली ही इस बीमारी से बचाव की सबसे बड़ी कुंजी है।

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