झाऱखंड के 45 आदिवासी भुखमरी के कगार पर है, ऐसा बाबुलाल मंराडी का कहना है। बाबुलाल मंराडी ने एक्स डॉट कॉम पर लिखा है की
गढ़वा के बिजका गांव के 45 आदिवासी परिवार पिछले 14 महीनों से भुखमरी के कगार पर हैं। इन्हें हक का अनाज कटौती कर दिया जाता था, लेकिन जब उन्होंने विरोध किया, तो पूरा राशन ही बंद कर दिया गया। शिकायतें प्रखंड, जिला, और राज्य स्तर तक पहुँचीं, लेकिन सरकार इतनी बहरी निकली कि उनकी पुकार बस फाइलों में गुम होकर रह गई।
14 महीने के बाद चिर निद्रा से उठे मुख्यमंत्री ने जांच का आदेश देकर अपने जिम्मेदारी से छुटकारा पा लिया है, लेकिन राशन वितरण में लापरवाही का न तो यह पहला मामला है, न आखिरी।
पूरे प्रदेश में ऐसे लाखों गरीब आदिवासी परिवार हैं जिनके हक का राशन अफसर और सत्ताधारी दल के नेता खा ले रहे हैं। राशन वितरण में पारदर्शिता की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM प्रत्येक माह सभी राशनकार्ड धारकों को राशन वितरण की नियमित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देशित करें।
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