राजधानी रांची में आज पंचायती राज विभाग की ओर से राष्ट्रीय पेसा दिवस समारोह का आयोजन किया गया। मौके पर पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार के सचिव विवेक भारद्वाज समेत कई गणमान्य लोगों ने पेसा अधिनियम की जानकारी को साझा किया।
जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाने और पेसा अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूक करने के लिए रांची में पेसा अधिनियम पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार के सचिव विवेक भारद्वाज ने झारखंड में पेसा के क्रियान्वयन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यहां के पंचायत में अधिनियम से जुड़े नए-नए आयाम जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने पेसा अधिनियम को सरल शब्दों में समझाते हुए कहा कि जल,जंगल और जमीन पर जनजातीय समुदाय का अधिकार पेसा कानून के तहत आता है। पेसा कानून के तहत जनजातीय समुदाय के अधिकारों को लिखित रूप दिया गया है। विवेक भारद्वाज ने कहा कि पेसा कानून लागू हुए आज 28 वर्ष गुजर गए हैं। जनजातीय क्षेत्र में इसे पूरी तरह से लागू करना हम सब की जिम्मेवारी है।
इस मौके पर विवेक भारद्वाज: सचिव भारत सरकार पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय की रीति रिवाज, परंपरा और मान्यताओं को लिपिबद्ध करना बेहद ही जरूरी है। झारखंड में 26 जनवरी से इस दिशा में पहल होनी चाहिए। वही 15 अगस्त को ग्राम सभा में इससे संबंधित लेखा-जोखा पेश करते हुए इसे मान्यता दी जाए। उन्होंने कहा कि झारखंड के बाद छत्तीसगढ़ इस दिशा में पहल करेगा।
समारोह का संबोधित करते हुए पंचायती राज विभाग झारखंड सरकार के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे ने कहा कि झारखंड के 13 जिले पूर्ण रूप से अनुचित क्षेत्र में आते हैं जबकि 3 जिले आंशिक क्षेत्र के तहत आते हैं। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में दो हजार से अधिक ग्राम पंचायत और सोलह हजार से अधिक ग्राम सभा है। विनय कुमार चौबे ने कहा कि आंकड़ों से समझा जा सकता है कि झारखंड में पेसा कानून का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन बेहद जरूरी है।
गौरतलब है कि वर्ष 1996 में जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाने के लिए पेसा कानून लागू किया गया था। यह कानून झारखंड समेत देश के 10 राज्यों में लागू है। झारखंड पहला राज्य है जहां पेसा गीत भी बनाया गया है जिसकी प्रस्तुति राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान दी गई।