गिरिडीह, 17 दिसंबर: सरस्वती शिशु विद्या मंदिर बरगंडा में मंगलवार को लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के त्रिशताब्दी समारोह के अवसर पर मातृ सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. पुष्पा सिन्हा, प्रो. विनीता कुमारी, डॉ. आरती वर्मा और जिला परिषद अध्यक्षा मुनिया देवी ने दीप जलाकर और पुष्प अर्पित कर किया।
सम्मेलन का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए सरिता कुमारी ने कहा कि विद्या भारती योजनानुसार हर वर्ष विद्यालय प्रबंधन की ओर से मातृ सम्मेलन का आयोजन किया जाता है, ताकि मातृशक्ति को प्रेरित किया जा सके और बच्चों में नैतिकता एवं संस्कार का विकास हो सके। प्रधानाचार्य आनंद कमल ने कहा कि विद्या भारती का उद्देश्य छात्रों के माध्यम से एक संस्कारवान समाज का निर्माण करना है, जो देश को नई दिशा दे सके।
इस अवसर पर बच्चों ने “मां मेरी मां”, “ओ मेरी मां”, “लुका छुप्पी” और “ऐसा क्या है मां” जैसे भाव नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित माताओं को भावुक कर दिया। प्रोजेक्टर के माध्यम से उपस्थित माताओं को मोटिवेशनल वीडियो दिखाए गए और विद्यालय की उपलब्धियों से अवगत कराया गया। साथ ही, एक “कल सजा आरती थाल सजा” प्रतियोगिता और लजीज व्यंजनों का स्टॉल भी लगाया गया।
डॉ. पुष्पा सिंह ने कहा कि माताओं को प्रारंभ से ही बच्चों की देखभाल के साथ-साथ एक संस्कारपूर्ण वातावरण प्रदान करना चाहिए, क्योंकि अच्छे संस्कार ही बच्चों की दिशा तय करते हैं। प्रो. विनीता कुमारी ने बताया कि बच्चे राष्ट्र की धरोहर होते हैं, और मातृशक्ति ही उन्हें संस्कारी बना सकती है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती विद्यालयों में संस्कार पक्ष बहुत मजबूत होता है, और इसे और अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है।
मुनिया देवी ने कहा कि भैया-बहनों के सर्वांगीण विकास में माताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। शिक्षा के साथ-साथ संस्कार का होना आवश्यक है। डॉ. आरती वर्मा ने बच्चों में प्रारंभ से ही अच्छे आदतों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
अर्जुन मिष्टकार ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त आचार्य दीदी का सराहनीय योगदान रहा।