सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर, 2024 को निधन हो गया। उम्र संबंधी परेशानियों की वजह से उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने समूह का हिस्सा होते हुए समूह को नई बुलंदियों तक पहुंचाया। इस लेख में आईए हम उनके जीवन के सफर के बारे में जानेंगे।
जन्म
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28 दिसंबर 1937
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मृत्यु
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9 अक्टूबर, 2024
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आयु
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86 वर्ष
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शिक्षा
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कॉर्नेल विश्वविद्यालय
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल
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परिवार
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नवल टाटा (पिता)
सूनी कमिसारीट (मां)
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पेशा
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टाटा संस और टाटा समूह की पूर्व अध्यक्ष
परोपकारी
इन्वेस्टर
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शीर्षक
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टाटा संस और टाटा समूह के मानद अध्यक्ष
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पूर्ववर्ती
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जेआरडी टाटा
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उत्तराधिकारी
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साइरस मिस्त्री (2012)
नटराजन चंद्रशेखरन (2017-वर्तमान)
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पुरस्कार
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पद्म विभूषण (2008)
पद्म भूषण (2000)
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मूल्य
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रु. 3800 करोड़
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प्रसिद्ध उद्धरण
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“मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं रखता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।”
“शक्ति और धन मेरे दो मुख्य हित नहीं हैं।”
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28 दिसम्बर 1937 को बम्बई, ब्रिटिश भारत (वर्तमान मुंबई) में जन्मे, रतन टाटा नवल टाटा और सूनी कमिसारिएट के पुत्र थे। जब रतन टाटा 10 वर्ष के थे, तब वे अलग हो गये। इसके बाद उन्हें उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने जे. एन. पेटिट पारसी अनाथालय से उन्हें गोद लिया। टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (नवल टाटा और सिमोन टाटा के पुत्र) के साथ किया।
रतन टाटा ने कैंपियन स्कूल, मुंबई, कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई, बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क शहर में शिक्षा प्राप्त की। वह कॉर्नेल विश्वविद्यालय और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र हैं।
रतन टाटा, टाटा संस के अध्यक्ष कब बने
जब जेआरडी टाटा ने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, तो उन्होंने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उन्हें कई कंपनियों के प्रमुखों से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिन्होंने अपनी-अपनी कंपनियों में दशकों तक काम किया था। टाटा ने सेवानिवृत्ति की आयु निर्धारित करके उनकी जगह लेना शुरू कर दिया। उन्होंने प्रत्येक कंपनी के लिए समूह कार्यालय में रिपोर्ट करना अनिवार्य कर दिया। उनके नेतृत्व में टाटा संस की अतिव्यापी कंपनियों को एक समन्वित इकाई के रूप में सुव्यवस्थित किया गया।
उनके 21 वर्षों के कार्यकाल के दौरान राजस्व 40 गुना से अधिक तथा लाभ 50 गुना से अधिक बढ़ा। उन्होंने टाटा टी को टेटली, टाटा मोटर्स को जगुआर लैंड रोवर तथा टाटा स्टील को कोरस का अधिग्रहण करने में मदद की, जिससे यह संगठन मुख्यतः भारत-केंद्रित समूह से वैश्विक व्यवसाय में परिवर्तित हो गया।
उन्होंने टाटा नैनो कार की भी संकल्पना तैयार की थी। कार की कीमत ऐसी रखी गई थी, जो औसत भारतीय उपभोक्ता की पहुंच में थी।
75 वर्ष की आयु पूरी होने पर रतन टाटा ने 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। साइरस मिस्त्री को उनका उत्तराधिकारी नामित किया गया, हालांकि, निदेशक मंडल और कानूनी प्रभाग ने 24 अक्टूबर 2016 को उन्हें हटाने के लिए मतदान किया और रतन टाटा को समूह का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।