खूंटी : झारखंड में पहली बार राज्य की आधी आबादी की चिंता करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें सम्मान देने और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत की है। यह योजना राज्य की आधी आबादी के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और विधायक कल्पना सोरेन ने कही। कल्पना सोरेन शनिवार को भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू से मंईंया सम्मान यात्रा का शुभारंभ करने के बाद खूंटी के कचहरी मैदान और बाद में तोरपा प्रखंड मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि राज्य में लंबे समय तक शासन करने वाले लोगों ने कभी भी राज्य की आधी आबादी के बारे में कोई चिंता नहीं की।
पहली बार हेमंत सोरेन ने हमारी बहनों-बेटियों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया है। राज्य में पांच वर्षों तक शासन करने वाली डबल इंजन की सरकार ने यहां के हजारों आदिवासियों पर एफआइआर दर्ज करने का काम किया था। अपनी आवाज उठाने और हक-अधिकार की बात करने वाले लोगों के साथ बड़े-बड़े लोग यही करते हैं, लेकिन वे भूल जाते हैं कि यह झारखंड है, वीर सपूतों की भूमि है, जो अपना हक लेना जानते हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हमारे पुरखों ने कभी किसी के सामने सिर नहीं झुकाया ना ही कोई समझौता किया। उसी प्रकार हेमंत सोरेन ने भी कभी कोई समझौता नहीं किया, क्योंकि हम यहां काम करके आ रहे हैं, कोई झूठे वायदे करके नहीं। उन्होंने कहा कि देश में जितने भी बड़े-बड़े नेता हैं, उन सभी को यहां ले आइए, राज्यों के मुख्यमंत्री को बुला लीजिए। झारखंड के वीर भूमिपुत्र को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आसन्न रणभूमि में झारखंड के लोगों से उन्हें करारा जवाब मिलेगा। आपकी उम्मीदों सपनों और विचारधारा को कोई हिला नहीं सकता।