नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के सूरत में ‘जल संचय जनभागीदारी पहल’ का शुभारंभ किया।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज गुजरात की धरती से जलशक्ति मंत्रालय द्वारा एक अहम अभियान का शुभारंभ हो रहा है। इससे पूर्व पिछले दिनों देश के हर कोने में वर्षा का जो तांडव हुआ, देश का शायद ही कोई ऐसा इलाका होगा जिसको इस मुसीबत से संकट न झेलना पड़ा हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार गुजरात पर बहुत बड़ा संकट आया। सारी व्यवस्थाओं की ताकत नहीं थी कि प्रकृति के इस प्रकोप के सामने हम टिक पाएं लेकिन गुजरात के लोगों और देशवासियों का एक स्वभाव है कि संकट की घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर हर कोई, हर किसी की मदद करता है। उन्होंने कहा कि जल संचय केवल एक नीति नहीं, ये एक प्रयास भी है और यूं कहें कि ये एक पुण्य भी है।
इसमें उदारता भी है और उत्तरदायित्व भी है। आने वाली पीढ़ियां जब हमारा आकलन करेंगी तो पानी के प्रति हमारा रवैया शायद उनका पहला पैरामीटर होगा। क्योंकि ये केवल संसाधनों का प्रश्न नहीं है। ये प्रश्न जीवन का है, ये प्रश्न मानवता के भविष्य का है। इसलिए हमने टिकाऊ भविष्य के लिए जिन 9 संकल्पों को सामने रखा है, उनमें जल संरक्षण पहला संकल्प है।