रांची : झारखंड समेत देशभर में भाई-बहन के अटूट रिश्ते और प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन आज सोमवार को मनाया जाएगा। इसको लेकर भाई-बहनों में काफी उत्साह देखने को मिला। रविवार को बाजारों में भी काफी रौनक देखी गयी।
आज के दिन बहनें भाई के माथे पर टीका और हाथ में रक्षा सूत्र बांधकर उनकी मंगल कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं। लेकिन इस बार राखी पर अमंगल रूपी भद्रा की छाया भी रहने वाली है। जिसके चलते भाई को रक्षासूत्र बांधने की शुभ घड़ी को लेकर लोगों के मन में बहुत से सवाल होंगे। आइए आपको ऐसे सभी सवालों के जवाब देते हैं।
सावन पूर्णिमा 19 अगस्त को 03.04 बजे से आरंभ होगी। 19 अगस्त की रात ही 11.55 बजे पूर्णिमा तिथि का समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर रक्षाबंधन 19 अगस्त दिन सोमवार को ही मनाया जाएगा।
जानें कब से कब तक रहेगी भद्रा
रक्षाबंधन पर भद्राकाल 19 अगस्त की रात 02.21 बजे से दोपहर 01.30 बजे तक रहने वाला है। रक्षा बंधन पर सुबह 09.51 से 10.53 तक पर भद्रा पुंछ रहेगा। फिर 10.53 से 12.37 तक भद्रा मुख रहेगा। दोपहर 01.30 बजे भद्रा काल समाप्त हो जाएगा। हालांकि इस भद्रा काल का रक्षाबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दरअसल, चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा का निवास पाताल लोक में रहेगा। इसलिए धरती पर होने वाले शुभ कार्य बाधित नहीं होंगे। अतः रक्षाबंधन पर आप किसी भी समय भाई को राखी बांध सकती हैं।
यहां जानें राखी बांधने का मुहूर्त
इस बार रक्षाबंधन पर भाई को राखी बांधने के दो शुभ मुहूर्त रहेंगे। पहला मुहूर्त अपराह्न काल में और दूसरा मुहूर्त सायंकाल में रहेगा। आप इनमें से किसी भी शुभ मुहूर्त में भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं।
पहला मुहूर्त- रक्षाबंधन पर राखी बांधने का पहला शुभ मुहूर्त दोपहर 01.46 बजे से शाम 04.19 बजे तक रहेगा। यानी राखी बांधने के लिए पूरे 2 घंटे 33 मिनट का समय मिलेगा।
दूसरा शुभ मुहूर्त- इसके अलावा आप शाम के समय प्रदोष काल में भी भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। इस दिन शाम 06.56 बजे से रात 09.07 बजे तक प्रदोष काल रहेगा।
कैसे मनाएं रक्षाबंधन?
रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह स्नानादि के बाद भाई को एक चौकी पर बैठाएं। उसके सिर पर कोई कपड़ा या रुमाल रखें। ध्यान रहे कि राखी बांधते वक्त भाई का मुंह पूरब दिशा की ओर बहन का मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए। राखी बांधने के लिए सबसे पहले अपने भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद भाई को घी के दीपक से आरती करें। उसके बाद राखी बांधकर उनका मुंह मीठा कराएं। इसके बाद अगर संभव हो, तो सप्रेम भोजन के लिए आग्रह करें।
भाई को राखी बांधते हुए बहनें एक चमत्कारी मंत्र का जाप जरूर करें। रक्षाबंधन का मंत्र है- ” येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।’
जानें रक्षाबंधन की परंपरा और महत्व
भारत में रक्षाबंधन मनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब राजा बलि ने भगवान विष्णु से वचन लेकर उन्हें अपने साथ पाताल लोक में रख लिया था। तब मां लक्ष्मी ने रक्षा राजा बलि की कलाई पर राखी बांधकर उनसे भगवान विष्णु की घर वापसी मांगी थी।
वहीं महाभारत से जुड़ी कथा के अनुसार, एक बार द्रौपदी ने कृष्ण की चोट को ठीक करने के लिए उनकी कलाई पर अपनी पोशाक से एक कपड़ा फाड़ कर बांध दिया था। भगवान श्री कृष्णा इस बात से इतनी ज्यादा खुश और प्रभावित हुए कि उन्होंने द्रौपदी को अपनी बहन बना लिया और उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी ली। कहते हैं कि तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है।