नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण में ग्लोबल साउथ देशों को संतुलित और समावेशी विकास में सहायता के लिए एक व्यापक ‘वैश्विक विकास समझौते’ का प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने समापन भाषण में भारत की ओर से एक व्यापक “वैश्विक विकास समझौता” का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि इस समझौते की नींव भारत की विकास यात्रा और विकास साझेदारी के अनुभवों पर आधारित होगी। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि यह समझौता ग्लोबल साउथ के देशों द्वारा स्वयं निर्धारित की गई विकास प्राथमिकताओं से प्रेरित होगा। यह मानव केंद्रित होगा और विकास के लिए बहुआयामी होगा और मल्टी-सेक्टोरल दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा।उन्होंने कहा कि यह डेवलपमेंट फाइनेंस के नाम पर जरूरतमंद देशों को कर्ज तले नहीं दबाएगा। यह पार्टनर देशों के संतुलित और सतत विकास में सहयोग देगा।इस ‘विकास समझौता’के तहत हम, विकास के लिए व्यापार, सतत विकास के लिए क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी साझाकरण, परियोजना विशिष्ट कन्सेशनल फाइनेंस और अनुदान इस पर फोकस करेंगे।