रांची : आलामगीर आलम के निजी सजीव को खबर मिल रही है कि आलमगीर आलम के निजी सजीव संजीव को संस्पेंड करने की तैयारी चल रही है।
जहांगीर के यहां से करोड़ों रुपये मिलने के बाद संजीव और जहांगीर को गिरफ्तार कर लिया गया था। ज्ञात हो कि सोमवार को संजीव लाल के आवास पर ईडी ने छापेमारी की थी. छापामारी में नकद भी बरामद किया गया था. इसके बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था जिसे लेकर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल सस्पेंड होंगे.
उनके न्यायिक हिरासत में चले जाने की सूचना के बाद सरकार के स्तर पर उन्हें निलंबित करने की याचिका दी गयी है. ऐसी जानकारी मिल रही है कि जैसे ही मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की सहमति मिलती है उन्हें निलंबित कर दिया जायेगा. गौरतलब है कि वह झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, ऐसे में कार्मिक विभाग द्वारा उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी किया जायेगा.
जानकारी दें दे कि ईडी की टीम ने सोमवार को संजीव और उनके सहायक जहांगीर के घर पर रेड मारी थी. जहां उनके घर से करोड़ों रुपये बरामद हुए थे. इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था. मंगलवार को उन्हें ईडी कोर्ट में पेश किया गया. जहां अदालत ने उन्हें 6 दिनों की रिमांड पर लेने की अनुमति दे दी. नकद कैश के अलावा उन दोनों के ठिकानों से की ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े पत्र भी बरामद किये गये. जिसमें एक पत्र कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नाम का है.
टेंडर मैनेज कर कमीशन की रकम वसूलता था संजीव
ईडी ने जहांगीर आलम और संजीव लाल को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया. जहां रिमांड पिटीशन दायर कर अदालत को बताया कि ग्रामीण विकास विभाग की विकास योजनाओं में 15% की दर से कमीशन की वसूली होती है. संजीव लाल टेंडर मैनेज कर कमीशन की रकम वसूलता है.
वसूली के लिए बने सिस्टम में इंजीनियर और ठेकेदार शामिल हैं. कमीशन की रकम जहांगीर आलम के पास रखी जाती है और यह राशि बड़े अफसरों और राजनीतिज्ञों तक जाती है.
ईडी ने यह भी बताया कि संजीव लाल ने जहांगीर के नाम पर गाड़ी भी खरीदी है. इससे जहांगीर और संजीव के बीच गहरे संबंध होने की पुष्टि होती है.
इससे पहले वह दो-दो मंत्रियों के सहायक रह चुके हैं. वहीं, रांची में अंचलाधिकारी और कार्यपालक दंडाधिकारी के पद पर भी कार्यरत रहे हैं.
मूल रूप से खूंटी के रहनेवाले संजीव की विभाग में अच्छी धाक थी. एक-एक टेंडर उनकी नजर से गुजरता था. छोटी-मोटी खरीद से लेकर अधिकारियों के पदस्थापन और तबादले पर उनकी नजर रहती थी.