बिलकिस बानो (Bilkis Bano) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए दोषियों की सजा माफी रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों को अब फिर से जेल जाना होगा। बिलकिस के दोषियों की समयपूर्व रिहाई के मामले को लेकर जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच ने बड़ा फैसला सुनाते हुए दोषियों की सजा माफी का गुजरात सरकार का आदेश रद्द करते हुए कहा कि सजा अपराध रोकने के लिए दी जाती है। पीड़ित के अधिकार की भी चिंता करनी होगी। क्योंकि बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी।
ज्ञात हो कि बिलकिस बानो से गैंगरेप और उसके परिवार के कई लोगों की हत्या के 11 दोषियों की सजा गुजरात सरकार ने माफ कर दिया था। गुजरात सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने इस मामले की सुनवाई किया और 12 अक्तूबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि इन दोषियों को CBI की विशेष अदालत ने साल 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई थी। उम्रकैद की सजा पाए दोषी को 14 साल जेल में ही रहने होते हैं। जिसके बाद उन्होंने क्या अपराध किया है, जेल में उनका व्यवहार कैला रहै साथ ही कई बातों पर ध्यान रखा जाता है। जिसके बाद ही सजा घटाया जा सकता है या रिहाई पर विचार किया जा सकता है। बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषीयों ने जेल में 15 साल बिताया। जिसके बाद दोषियों ने सजा में रियायत की गुहार लगाई थी। जिस पर गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया।