बालूमाथ : बेटी बचाओ —बेटी पढ़ाओ— यह नारा अक्सर सुनने को मिलता है। मंच मिलने के बाद भाषण बाजी करने वाले लोगों के मुंह से यह नारे तो अक्सर सुने जा सकते हैं। परंतु जब बेटियों को बचाने की बारी आती है तो नारे लगाकर वाहवाही लूटने वाले कही नजर नहीं आते।
ताजा उदाहरण लातेहार जिले में देखने को मिला। यहां बेटी बचाओ के खोखले नारों के बीच एक नन्ही बच्ची के परिजन नन्हीं जान को बचाने के लिए दर-दर भटकते रहे। परंतु बेटी बचाओ के नारे लगाने वाले “बहरे लोगों” के कानों तक परिजनों की पुकार पहुँच नहीं पायी।परिणाम हुआ कि 6 दिनों तक रिम्स में इंतजार के बाद अंततः नन्ही जान हमेशा के लिए चिर निद्रा में सो गई।
घटनाक्रम के अनुसार गत 26 नवंबर को लातेहार जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र अंतर्गत चितरपुर गांव के पास एक वाहन ने मोटरसाइकिल पर सवार हो कर अपने घर लौट रहे विजय गंझू के पूरे परिवार को रौंद दिया था। इस घटना में विजय तथा उनके बेटे की मौत घटना स्थल पर ही हो गयी थी।विजय की पत्नी की मौत भी अस्पताल पहुँचने से पहले ही हो गयी थी।
विजय की छोटी सी बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई थी। मां बाप और अपने भाई को खोने के बाद नन्ही सी जान रिम्स में अपनी जिंदगी की जंग लड़ रही थी। बच्ची के परिजनों को उम्मीद थी कि बेटी बचाओ के नारे बुलंद करने वाले अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौत से जंग लड़ रही बेटी को बचाने में मदद जरूर करेंगे। परिजनों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के पास दौड़ते रह गए, परंतु कहीं से कोई मदद नहीं मिली। पुलिस विभाग के अधिकारियों और कुछ आम लोगों ने आर्थिक मदद की थी, जिसके कारण रिम्स तक तो बच्ची पहुँच गयी।परंतु उचित इलाज के अभाव में आज नन्हीं जान इस दुनिया को छोड़कर अपने माँ-पापा के पास चली गयी।
6 दिनों तक ममद का इंतजार करते हुए बच्ची मौत से लड़ती रही।शायद उसे लग रहा होगा कि बेटी बचाओ के नारे लगाने वाले उसे बचाने आएंगे. पर 6 दिनों के इंतजार के बाद जब उसे विश्वास हो गया होगा कि बेटी बचाओ का नारा सिर्फ खोखला नारा है तो वह नाउम्मीद होकर चिर निद्रा में सो गयी। पूरी घटना को समाज शायद कुछ दिनों में भूल जाए,पर नन्हीं बच्ची की रूह हमेशा यह करुण पुकार करती रहेगी कि बेटी बचाओ के नारों को खोखला न बनने दें.