बेगूसराय: बिहार की साहित्यिक और सांस्कृतिक नगरी बेगूसराय तमाम क्षेत्रों में आगे है। बात साहित्य की हो या संस्कृति अथवा कला की। बेगूसराय की बहू शारदा सिन्हा के गाए छठ गीत लोकपर्व एवं संस्कृति का पर्याय बन चुका है। बिहार एवं भारत ही नहीं विदेशों में भी उसकी धूम मच रही है।
लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत 17 नवम्बर को नहाय-खाय के साथ होगी। सूर्योपासना के इस महापर्व छठ को लेकर तैयारी काफी तेज हो गई है। गांव से लेकर शहर तक की गलियों में छठ महापर्व के गीत गूंजने लगे हैं। सुबह और शाम मंदिरों में भजन-आरती के साथ छठ के गीत बज रहे हैं।
सबसे बड़ी बात है कि जब छठ के गीत बजाने की बात आती है तो लोगों को सबसे पहले नाम याद आता है पद्मश्री शारदा सिन्हा का। बेगूसराय की बहू शारदा सिन्हा के गीत छठ महापर्व का पर्याय बन चुका है। बिहार, भारत ही नहीं विदेशों में भी उसकी धूम मच रही है। आज भले ही दर्जनों गायक छठ गीत तैयार कर रहे हैं। लेकिन उसके भाव और मूल में बेगूसराय की बहू द्वारा गाए गए छठ गीत ही हैं।
1991 में पद्मश्री, 2001 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड और 2018 में पद्मभूषण से सम्मानित बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के गीत जहां कहीं भी छठ होता है, वहां पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ गाए जाते हैं। चाहे वह भारत का कोई हिस्सा हो या विदेशों का, सब जगह उनके गीत ”केलवा के पात पर उगलन सुरुज देव, मारबउ रे सुगवा धनुष से, आठ ही काठ के कोठरीया हो दीनानाथ” आदि धूम मचाती है।
जब छठ के समय गीतों के कैसेट का इतना प्रचलन नहीं था, सिर्फ विंध्यवासिनी देवी एक-दो गीत सुनने को मिलते थे, तो 1978 में शारदा सिन्हा ने पहली बार उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर छठ गीत रिकॉर्ड किया था। एचएमवी कंपनी का वह कैसेट इतना छा गया कि खुद कंपनी वाले लगातार गीत रिकॉर्ड करने का अनुरोध करने लगे। जिसके बाद शारदा सिन्हा द्वारा गाए गए 75 से अधिक छठ गीत शारदा सिन्हा और छठ के पर्याय बन चुके हैं।
कार्तिक आते ही जब छठ गीत बजना शुरू होता है तो शारदा सिन्हा का गाना धूम मचाता है और लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं। शारदा सिन्हा की आवाज गीत के रूप में सुनाई पड़ते ही छठ का एहसास जिंदा हो जाता है। लगता है कि दुनिया में जब तक छठ मनाया जाता रहेगा, शारदा सिन्हा गाती रहेगी। काल की सीमा से परे अप्रतिम आवाज में ना केवल शारदा सिन्हा द्वारा गाए पुराने गीत लगातार बज रहे हैं, बल्कि समय-समय पर वह नया गीत गाती रहती है।
शारदा सिन्हा के गीत में ना केवल छठ की शुचिता, सभ्यता और मर्यादा दिखाई देती है। बल्कि, दिखाया जाता है कि व्रती अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कितनी शालीनता और आस्था के साथ यह पर्व करते हैं। छठ के गीत में बेहतरीन आवाज देने वाली शारदा सिन्हा ने अधिकतर गाने को खुद ही कंपोज भी किया है। कुल मिलाकर कहें तो एक बार फिर छठ में देश से विदेश तक छा गई है बेगूसराय की बहू शारदा सिन्हा।