बोकारो : चुनावी वर्ष में आम नागरिकों में सरकार से तोहफा मिलने की उम्मीद लगी होती है, लेकिन बोकरोवसियों के लिए ये बातें बिल्कुल उलट नज़र आती है। दरअसल प्रधानमंत्री का सपना हवाई चप्पल वाले को भी मिलेगा हवाई यात्रा का मौका , इसी उद्देश्य से रीजनल हवाई सेवा से बोकारो को जोड़ने के लिए वर्ष 2017 में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास की मौजूदगी मे बोकरो इस्पात के प्रबंध निदेशक ने बोकारो इस्पात के हवाईअड्डा को राज्य सरकार यह सोचते हुए सौपा था कि जल्द ही बोकरोवशियों को रीजनल हवाई सेवा जुड़ने का मौक़ा मिलेगा।
तत्कालीन डबल इंजन की सरकार ने इस पर संज्ञान लेते हुए इस हवाईअड्डे को विकसित करने प्रयास तेज कर दिए थे। इस दौरान स्थानीय सांसद और विधायक में इसका श्रेय लेने की होड़ भी मची लेकिन वर्ष 2019 में प्रदेश की भाजपा सरकार के जाते ही इस योजना पर ऐसा ग्रहण लगा कि वर्ष 2021 में पूरी हो जानेवाली योजना वर्तमान में गठबंन्धन की सरकार से अपेक्षित सहयोग नही मिलने के कारण अधर में लटक गई। लेकिन केंद्र सरकार की लगातार प्रयास से करोड़ों खर्च कर यह योजना पूरी तो हुई लेकिन राज्य सरकार का सहयोग नही मिलने के कारण पूरी तरह हवाई सेवा के लिए तैयार हवाईअड्डे से उड़ान आरम्भ नही हो सका।
आज बोकारो हवाईअड्डा पूरी तरह तैयार है ए टी एस सहित सभी यात्री सुविधा के साथ हवाईपट्टी पर टेस्ट उड़ान भी हो चुकी है। कोलकाता से उड़ान सेवा की सुरक्ष जाँचने आयी टीम ने भी यहाँ उपलब्ध सुविधाओं पर सन्तोष जताते हुए हवाईअड्डा के एक क्षेत्र में चल रहे अवैध बूचड़खाने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि बूचड़खाने हटाये बिना यहाँ उड़ान भरना सम्भव नही है। अब इसे हटाने का जिम्मा राज्य की मौजूदा सरकार के जिम्मे होने के कारण पिछले अक्टूबर माह से अवैध बूचड़खाने नही हटाये गए इसके कारण बोकरोवशियों के उड़ान भरने की सपना धरे की धरे रह गई।
अब लोकसभा चुनाव होने में महज़ कुछ ही दिन शेष रह गए है। किसी भी वक्त चुनाव आयोग चुनाव की घोषणा कर सकती है, ऐसे में ज़ाहिर है कि आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी तो जाहिर है उद्घाटन, शिलान्यास और लोकलुभावन घोषणाओं पर रोक लग जायेगी तो फिर एक बार बोकारो हवाईअड्डा से उड़ान की योजना अधर लटकी नजर आती है। ये इंतजार बोकरोवशियों के लिए और भी लम्बी हो सकती है या यूं कहें कि इस वर्ष यहाँ उड़ान सम्भव नही है क्योंकि इसी वर्ष झारखंड विधानसभा का चुनाव भी होना है। लिहाजा सहज ही समझ सकते है कि बोकरोवशियों को इस वर्ष भी हवाई सेवा से महरूम होना पड़े तो कोई आश्चर्य की बात नही।