Highlights :
- रघुवर दास ने हेमंत सोरेन सरकार पर पेसा नियमावली को गलत तरीके से बनाने का आरोप लगाया
- कहा– पेसा कानून की मूल भावना के खिलाफ है राज्य सरकार की नियमावली
- ग्राम सभा अध्यक्ष को लेकर नियमों में स्पष्टता नहीं होने का दावा
- लघु खनिज और अन्य अधिकारों पर ग्राम सभा के अधिकार अस्पष्ट
- पेसा नियमावली का ड्राफ्ट और गजट सार्वजनिक करने की मांग
भाजपा कार्यालय में रघुवर दास की प्रेस कॉन्फ्रेंस
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास ने भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई पेसा नियमावली, पेसा अधिनियम के मूल प्रावधानों से अलग और उसकी मूल भावना के विपरीत है।
पेसा कानून की भावना से भटक गई नियमावली
रघुवर दास ने कहा कि पेसा अधिनियम का उद्देश्य आदिवासी समाज की पारंपरिक, रूढ़िवादी व्यवस्था और स्वशासन को सशक्त बनाना है, लेकिन राज्य सरकार की नियमावली इससे भटकती नजर आ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर नियमावली में ऐसी खामियां छोड़ी हैं, ताकि मामला एक बार फिर न्यायालय तक पहुंचे।
ग्राम सभा अध्यक्ष को लेकर उठाए सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए कहा कि ग्राम सभा अध्यक्ष को लेकर जो बातें सामने आई हैं, वे भ्रामक हैं। उन्होंने कहा कि पेसा कानून के तहत ग्राम सभा की अध्यक्षता ऐसी व्यवस्था के अनुरूप होनी चाहिए जो आदिवासी समाज की रूढ़िवादी परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुकूल हो। रघुवर दास ने सवाल उठाया कि क्या धर्म परिवर्तन कर ग्राम सभा में शामिल हुए लोग अध्यक्ष बन सकेंगे या नहीं, इस पर नियमावली में कोई स्पष्टता नहीं है।
लघु खनिज और अधिकारों पर भी अस्पष्टता
रघुवर दास ने कहा कि पेसा कानून के तहत ग्राम सभा को लघु खनिज समेत कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं, लेकिन राज्य सरकार की नियमावली में यह स्पष्ट नहीं है कि ये अधिकार पूरी तरह ग्राम सभा के पास रहेंगे या राज्य सरकार के नियंत्रण में होंगे। उन्होंने इसे आदिवासी स्वशासन की भावना के खिलाफ बताया।
छत्तीसगढ़ गजट का दिया उदाहरण
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रघुवर दास ने छत्तीसगढ़ राज्य के गजट का हवाला देते हुए कहा कि वहां पेसा कानून में आदिवासी रूढ़िवादी व्यवस्था और परंपराओं का स्पष्ट उल्लेख है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को भी उसी तर्ज पर नियमावली बनानी चाहिए थी, ताकि आदिवासी समाज की पारंपरिक व्यवस्था को कानूनी संरक्षण मिल सके।
गजट के माध्यम से नियमावली सार्वजनिक करने की मांग
रघुवर दास ने राज्य सरकार से मांग की कि पेसा नियमावली को गजट के माध्यम से सार्वजनिक किया जाए और उसका ड्राफ्ट जनता के सामने रखा जाए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पेसा कानून को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन वर्तमान सरकार की नियमावली 1996 के पेसा कानून के प्रावधानों के विपरीत है।
रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड ने कहा
“पेसा नियमावली में आदिवासी रूढ़िवादी व्यवस्था को मिटाने की कोशिश की गई है, जबकि जरूरत उसे कानूनी जामा पहनाकर सशक्त बनाने की थी। राज्य सरकार ने जानबूझकर ऐसी गलतियां की हैं, ताकि मामला फिर अदालत में जाए।”
