इटखोरी के राजा केंदुआ कांड में उम्रकैद काट रहे कैदी की मौत के बाद गांव में तनाव, महिलाओं ने शव लेने से किया इनकार
हाइलाइट्स:
- 2018 में किशोरी को जिंदा जलाने के मामले में उम्रकैद पाए 18 में से एक आरोपी की जेल में मौत
- शव सौंपने पहुंची पुलिस से ग्रामीणों का सवाल — “जिंदा ले गई थी, अब मरा हुआ शव क्यों लाई?”
- गांव की सभी महिलाएं बोलीं — “यह गांव अब मर्दहीन हो गया, अंतिम संस्कार कौन करेगा?”
- मृतक की पत्नी भी छोड़ चुकी है गांव, प्रशासन ने दिया केवल ‘सद्भावना’
- BDO बोले — “मामला कोर्ट में है, हम कुछ नहीं कर सकते”
विस्तार
चतरा जिले के इटखोरी थाना क्षेत्र के कोनी पंचायत अंतर्गत राजा केंदुआ गांव में एक मार्मिक घटना ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है। वर्ष 2018 के बहुचर्चित रेप और जिंदा जलाने के मामले (राजा केंदुआ कांड) में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी शीतल भुइयां की तबीयत बिगड़ने के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई। हजारीबाग पुलिस मंगलवार रात पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों के हवाले करने गांव पहुंची, लेकिन बुधवार सुबह गांव की महिलाओं ने शव लेने से इनकार कर दिया। शव को गांव के एक चबूतरे पर रख दिया गया है और ग्रामीण प्रशासन से न्याय की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों का आरोप — “जिंदा ले गई थी पुलिस, मरा हुआ शव क्यों लाई?”
गांव की महिला परिजनों ने कहा — “हमने अपने पति और बेटों को पुलिस को जिंदा सौंपा था, अब पुलिस मरा हुआ शव क्यों लेकर आई है?” “गांव में अब कोई मर्द नहीं बचा जो अंतिम संस्कार कर सके।” गांव की महिलाओं का कहना है कि 8 साल पहले पुलिस सभी पुरुषों को गिरफ्तार कर ले गई थी, जिन्हें बाद में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई।
अब गांव में केवल महिलाएं और बुजुर्ग बचे हैं। उनका कहना है कि बिना जांच के निर्दोषों को जेल भेजा गया था, और इस पूरे मामले की CBI जांच कराई जानी चाहिए।
प्रशासन मौके पर, लेकिन ‘बेबस’ बयान
मामले की जानकारी मिलते ही इटखोरी थाना प्रभारी अभिषेक सिंह और BDO सोमनाथ बंकिरा गांव पहुंचे। उन्होंने परिजनों को सांत्वना दी, लेकिन कहा कि प्रशासनिक स्तर पर अब कुछ नहीं किया जा सकता।
BDO सोमनाथ बंकिरा ने कहा — “यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। पुलिस केस को डिस्पोज़ल कर चुकी है। हम केवल परिजन को सद्भावना दे सकते हैं।” वहीं एसडीपीओ सुनीता लकड़ा ने कहा —“यह केस 2018 का है और अब पुलिस के नियंत्रण में नहीं है। जवाबदेही कोर्ट और जेल प्रशासन की होगी।”
2018 का राजा केंदुआ कांड — प्रेम प्रसंग से शुरू हुआ था खौफनाक अंत
यह घटना 2018 में उस समय सामने आई थी जब धनु भुइयां नामक युवक का गांव की किशोरी रानी कुमारी से प्रेम संबंध था। पंचायत ने फैसला सुनाया कि युवक लड़की को अपने साथ रखेगा, लेकिन बाद में किशोरी को तेल डालकर जिंदा जला दिया गया। इस मामले में कोनी पंचायत की मुखिया और सरपंच तिलेश्वरी देवी समेत 20 लोगों पर मामला दर्ज हुआ था। मुखिया और सरपंच तीन महीने जेल में रहे और बाद में जमानत पर छूट गए, जबकि 18 ग्रामीणों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इन्हीं में से एक शीतल भुइयां की अब जेल में मौत हो गई है।
‘मर्दहीन गांव’ की सच्चाई और पीड़ा
गांव की महिलाओं ने मीडिया से कहा कि अब पूरा गांव “मर्दहीन गांव” बन गया है। सभी पुरुष या तो जेल में हैं या सजा काटते हुए मर चुके हैं। मृतक की पत्नी भी पति की सजा के बाद दूसरे व्यक्ति से विवाह कर गांव छोड़ चुकी है। गांव में अब केवल महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे हैं, जो न्याय और सम्मान की लड़ाई अकेले लड़ रहे हैं।
राजा केंदुआ कांड से जुड़े आरोपी की जेल में मौत ने इटखोरी क्षेत्र में एक बार फिर पुराने जख्म हरे कर दिए हैं।
महिलाओं द्वारा शव लेने से इनकार और “मर्दहीन गांव” की सच्चाई ने प्रशासन की व्यवस्था और न्याय प्रणाली दोनों पर सवाल खड़े किए हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है, क्या यह फाइलों में सिमट जाएगा, या सच में कोई जांच होगी?
