Wednesday, October 29, 2025
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हजारीबाग लैंड स्कैम में BJP विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम आया सामने, ACB जांच में नया खुलासा

हजारीबाग में वन भूमि की अवैध खरीद-बिक्री के मामले में एसीबी की जांच ने नया मोड़ ले लिया है। अब भाजपा के सदर विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम भी अभियुक्तों की सूची में शामिल हो गया है।

हाईलाइट्स:

  • ACB की जांच में BJP विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम आया सामने
  • आईएएस अधिकारी विनय चौबे और कारोबारी विनय सिंह पहले से जेल में
  • 70 से अधिक लोग नामजद, कई आरोपी अब भी फरार
  • विधायक रजिस्ट्री के गवाह बताए गए, 2010 में हुई थी वन भूमि की खरीद
  • विपक्ष ने सरकार और भाजपा से जवाब मांगा

विस्तार:

हजारीबाग में वन भूमि की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़े बड़े लैंड स्कैम में अब भाजपा के सदर विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम भी सामने आया है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस मामले में कांड संख्या 11/2025 दर्ज की है, जिसमें पहले ही आईएएस अधिकारी विनय चौबे, कारोबारी विनय सिंह, उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह, और कई सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। प्राथमिकी के अनुसार, विधायक प्रदीप प्रसाद उस रजिस्ट्री डीड के गवाह थे, जिसके जरिए वर्ष 2010 में वन भूमि की अवैध खरीद-बिक्री की गई थी।

रजिस्ट्री और जमीन का पूरा ब्योरा

दर्ज दस्तावेज के अनुसार, यह रजिस्ट्री 10 फरवरी 2010 को हजारीबाग रजिस्ट्री ऑफिस में की गई थी।
इसकी डीड संख्या 1763/1710, बुक नंबर 1, वॉल्यूम नंबर 45 में पेज 31 से 66 तक दर्ज है। विवादित भूमि बभनवे मौजा, हल्का नंबर 11 में स्थित है, जिसमें शामिल हैं:

  • खाता नंबर 95: प्लॉट नंबर 1055, 1060, 848 (कुल 28 डिसमिल)
  • खाता नंबर 73: प्लॉट नंबर 812 (72 डिसमिल)
  • इसी भूमि पर बाद में नेक्सजेन शोरूम (Nextgen Showroom) का निर्माण किया गया।
एसीबी की जांच और अब तक की कार्रवाई

एसीबी की जांच में सामने आया है कि यह भूमि वन क्षेत्र की श्रेणी में आती थी, जिसके बावजूद इसे निजी स्वामित्व में दर्ज कर लिया गया। अब तक एसीबी ने

    • कारोबारी विनय सिंह,
    • उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह,
    • लैंड ब्रोकर विजय सिंह,

और तत्कालीन सदर अंचल अधिकारी शैलेश कुमार को गिरफ्तार किया है। कई अन्य आरोपी अब भी फरार बताए जा रहे हैं। जांच एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि और नाम सामने आ सकते हैं।

 

 राजनीति में आने से पहले थे भूमि कारोबारी

स्रोतों के मुताबिक, विधायक प्रदीप प्रसाद राजनीति में आने से पहले हजारीबाग के बड़े भूमि कारोबारियों में गिने जाते थे। उन्होंने कई संपत्तियाँ खरीदी थीं, जिनमें से कुछ अब एसीबी की जांच के दायरे में हैं। विधायक द्वारा गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए जाने से यह संदेह गहरा गया है कि वह सिर्फ औपचारिक रूप से नहीं, बल्कि इस सौदे से प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हुए हो सकते हैं।

राजनीतिक हलचल तेज, विपक्ष का निशाना भाजपा पर

इस खुलासे के बाद झारखंड की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि “भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वाली पार्टी अपने ही नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं करती?” राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह मामला न केवल हजारीबाग की राजनीति, बल्कि पूरे झारखंड की सियासी दिशा को प्रभावित कर सकता है। अब सभी की निगाहें भाजपा के रुख पर टिकी हैं। क्या वह अपने विधायक के खिलाफ कार्रवाई करेगी या चुप्पी साधे रखेगी।

 क्या है हजारीबाग लैंड स्कैम

हजारीबाग लैंड स्कैम की शुरुआत तब हुई जब एसीबी को सूचना मिली कि जिले में वन भूमि और सरकारी जमीनों की अवैध खरीद-बिक्री की जा रही है। जांच में पाया गया कि कई राजनीतिक नेताओं, अधिकारियों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से इन जमीनों को फर्जी वर्गीकरण और कागजों में हेरफेर कर निजी नामों पर दर्ज किया गया। 
बाद में इन जमीनों पर कमर्शियल उपयोग के लिए भवन और शोरूम बनाए गए। इससे न केवल सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ, बल्कि वन अधिनियम और भूमि सुधार कानूनों का भी उल्लंघन हुआ। हजारीबाग लैंड स्कैम में BJP विधायक का नाम सामने आने से मामला और पेचीदा हो गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ACB आगे किन स्तरों तक जांच का दायरा बढ़ाती है और क्या राजनीतिक दबाव इस केस को प्रभावित करेगा या नहीं।

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