आदिवासी हुंकार महारैली की सफलता पर जताया आभार, कहा— कुर्मी समाज का दावा न परंपरा अनुसार, न रीति अनुसार सही
हाइलाइट्स:
- प्रभात तारा मैदान में हुई आदिवासी हुंकार महारैली पर रणनीति तय करने को बैठक
- आदिवासी बचाओ मंच और कई संगठन हुए शामिल
- कुर्मी समाज को आदिवासी दर्जा देने के विरोध में एकजुट हुए आदिवासी नेता
- महारैली की सफलता पर जताया आभार
- आगे की आंदोलन रणनीति पर चर्चा हुई
विस्तार:
राजधानी रांची में आज आदिवासी बचाओ मंच और विभिन्न आदिवासी संगठनों की ओर से एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया। इस बैठक का उद्देश्य था, हाल ही में प्रभात तारा मैदान में संपन्न आदिवासी हुंकार महारैली के विषय बिंदुओं की समीक्षा करना और आगे की रणनीति तय करना।
कुर्मी को आदिवासी दर्जा देने का विरोध
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आदिवासी अगुआ नेताओं ने कहा कि “कुर्मी जाति को आदिवासी का दर्जा देने की मांग किसी भी रूप में सही नहीं है — न तो यह आदिवासी परंपरा के अनुरूप है और न ही रीति-नीति के अनुसार।”
नेताओं ने आरोप लगाया कि कुर्मी समाज के कुछ गुट झारखंड की मूल आदिवासी पहचान को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
महारैली की सफलता और आगे की रणनीति
नेताओं ने ‘आदिवासी हुंकार महारैली’ के सफल आयोजन पर झारखंडवासियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि “आदिवासी समाज की एकजुटता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
बैठक में यह भी तय किया गया कि आने वाले दिनों में आदिवासी हक-अधिकार की रक्षा के लिए राज्यव्यापी जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
किसने क्या कहा
देव कुमार धान – “हमारी परंपरा और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है, जिसे हम कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”
लक्ष्मी नारायण मुंडा – “कुर्मी समाज को आदिवासी दर्जा देने की कोशिशें झारखंड की मूल पहचान पर हमला हैं, आदिवासी समाज इसके खिलाफ एकजुट है।”