बदली जीवनशैली में गॉल ब्लैडर स्टोन (पित्त की थैली की पथरी) में स्टोन का बनना आम समस्या हो गया है। ये बिमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होती है। अध्ययनों के मुताबिक इसके बनने की वजह पाचक रस का ज्यादा समय तक गॉल ब्लैडर में रुके रहना, समय पर भोजन न करना, कोलेस्ट्राल का न घुल पाना है। इनकी वजह से गाल ब्लैडर का सिकुड़ना बंद हो जाता है और धीरे-धीरे पाचक रस स्टोन के रूप में विकसित हो जाता है।
गॉल ब्लैडर स्टोन को लेकर अब तक जो स्थापित तथ्य हैं और जो आप सभी को जाननी चाहिये बता रहे डॉक्टर अनुज कुमार ((x.com = Dr Anuj Kumar, @dranuj_k))

1) गॉल ब्लैडर, शरीर का एक छोटा सा अंग है. यह लीवर के ठीक नीचे होता है। गॉल ब्लैडर में आमतौर पर बहुत ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल पित्त में जमा हो जाने के कारण स्टोन बनने लगते हैं। अगर ये स्टोन गॉल ब्लैडर से निकलने वाली नली को ब्लॉक कर दे तो परेशानी बढ़ जाती है।
2) गॉल ब्लैडर स्टोन होने पर लक्षण हैं पेट दर्द जो की सामान्यतः पेट के ऊपरी दाहिने भाग से शुरू हो कर बीच तक जा सकता है, गैस की शिकायत, उल्टी, बुख़ार। कई बार जोन्डिस जैसे लक्षण भी आते हैं।
लेकिन ये ज़रूरी नहीं की हर मामले में मरीज़ लक्षण आएँ। कई बार स्टोन होने पर भी किसी तरह के लक्षण मरीज़ को नहीं आते।
लक्षण मुख्यतः तब आते हैं जब वो स्टोन कि वजह से सूजन आ जाए या नली ब्लॉक हो जाए।
3) गॉल ब्लैडर स्टोन के कई मामलों में दवाई दिया जाता है। दवाई से स्टोन बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। कई रिसर्च में पाया गया कि स्टोन दवाई से घुल भी जाती है। लेकिन ये मुख्यतः किस तरह का स्टोन है उसपर निर्भर करता है। हर मामले में दवाई काम नहीं करती है।
4) अगर लक्षण बार बार आ रहे तो एक मात्र संपूर्ण इलाज सर्जरी है। सर्जरी में गॉल ब्लैडर को निकाल कर हटा दिया जाता है। ये एक काफ़ी हद तक सुरक्षित प्रक्रिया है।
5) अगर आपको लक्षण बार बार आ रहे हैं तो इसे बिलकुल नज़रअंदाज़ ना करें। इससे शरीर में गंभीर इन्फेक्शन, काफ़ी तेज़ दर्द और यहाँ तक की कैंसर होने तक का ख़तरा रहता है।
